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प्रतिस्‍पर्धा आयोग के निशाने पर रहने के बाद गूगल पर डेटा संरक्षण विधेयक का बादल

वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा-विरोधी मुकदमों और शिकायतों का सामना कर रही गूगल ने हाल के वर्षों में भारतीय नियामकों, खासकर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के साथ तीखी लड़ाई देखी है

प्रतिस्‍पर्धा आयोग के निशाने पर रहने के बाद गूगल पर डेटा संरक्षण विधेयक का बादल
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नई दिल्ली। वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा-विरोधी मुकदमों और शिकायतों का सामना कर रही गूगल ने हाल के वर्षों में भारतीय नियामकों, खासकर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के साथ तीखी लड़ाई देखी है।

क्या नया डिजिटल व्‍यैक्तिक डेटा संरक्षण विधेयक (डीपीडीपी), देश का पहला कानून है जिसका उद्देश्य बड़ी टेक कंपनियों से यूजरों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा करना और इन कंपनियों के लिए मुश्किलें खड़ी करना है।

किसी बड़ी टेक दिग्गज द्वारा भारतीय नियामकों को भारी जुर्माना देने के पहले मामले में गूगल ने अगस्त में एंड्रॉइड मामले में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा लगाए गए 1,337.76 करोड़ रुपये की पूरी जुर्माना राशि का भुगतान किया। राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) द्वारा अपने आदेश में दी गई 30 दिन की समय सीमा के भीतर जुर्माना राशि भारत के समेकित कोष में जमा की गई थी।

भारतीय बाजार नियामक ने एंड्रॉइड बाजार में अपनी प्रमुख स्थिति का कथित तौर पर अनुचित फायदा उठाने के लिए अक्टूबर 2022 में गूगल पर जुर्माना लगाया था।

सीसीआई ने प्ले स्टोर नीतियों के संबंध में अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए एक अलग मामले में गूगल पर 936.44 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

इस सप्ताह की शुरुआत में एनसीएलएटी ने 936.44 करोड़ रुपये के जुर्माने को चुनौती देने वाली गूगल की याचिका पर गूगल और सीसीआई से जवाब मांगा था।

सीसीआई ने ऐप स्टोर बाजार पारिस्थितिकी तंत्र में अपनी प्रमुख स्थिति के कथित दुरुपयोग के लिए गूगल को दंडित किया था। एनसीएलएटी ने अब सुनवाई 28 नवंबर तक के लिए टाल दी है।

इस साल जनवरी में एनसीएलएटी ने पहले ही इस मामले में गूगल को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था और जुर्माने के खिलाफ उसकी चुनौती को खारिज कर दिया था। इसके बाद, गूगल इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले गया लेकिन एनसीएलटीए में मामला जारी रखने का विकल्प चुनते हुए अप्रैल में अपील वापस ले ली।

सीसीआई ने गूगल को प्रतिस्पर्धा-विरोधी गतिविधियों में शामिल न होने का भी निर्देश दिया और इन-ऐप खरीदारी के लिए तीसरे पक्ष की बिलिंग और भुगतान प्रसंस्करण सेवाओं को शामिल करना अनिवार्य कर दिया।

एलायंस फॉर डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (एडीआईएफ) के निदेशक डॉ. रितेश मलिक ने कहा कि बड़ी तकनीकी कंपनियों ने जुर्माना/जुर्माने को 'व्यवसाय करने की लागत' के रूप में लेना शुरू कर दिया है और पारिस्थितिकी तंत्र को अधिक निष्पक्ष और गैर-भेदभावपूर्ण बनाने की बजाय उसी का भुगतान करना पसंद किया।

मलिक ने कहा, "यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि गूगल ने उच्चतम न्यायालय और एनसीएलएटी के दरवाजे खटखटाने सहित सभी संभावित विकल्‍प तलाशने के बाद भुगतान किया है। सबसे बड़ी चिंता यह है कि क्या गूगल आयोग के फैसलों का अक्षरश: पालन कर रहा है।"

विशेषज्ञों का कहना है कि डीपीडीपी विधेयक, 2023 के वास्तविकता बनने के साथ नए कानून के तहत आने वाले नियम भारतीय यूजरों को सशक्त बनाएंगे कि गूगल, मेटा या एक्स जैसी बड़ी टेक कंपनियां उनके डेटा का उपयोग कैसे कर सकती हैं और कैसे नहीं।

खेतान एंड कंपनी के पार्टनर हर्ष वालिया के अनुसार, "अधिनियम का उद्देश्य उन प्रयासों को ठोस बनाना है जो के गोपनीयता अधिकारों का सम्मान करने और उनके व्यक्तिगत डेटा पर नियंत्रण के लिए बड़ी टेक कंपनियों और सामान्य रूप से डेटा फ़िडुशियरी को अब करने चाहिये। इसमें अब डेटा प्रोसेसिंग के विशिष्ट उद्देश्यों के बारे में यूजरों को पारदर्शी रूप से सूचित करना होगा। ,यूजरों की स्पष्ट और सटीक सहमति भी प्राप्त की जा सकती है जिसे बाद में वापस लिया जा सकता है।''

यूजर अपने डेटा को मिटाने का भी अनुरोध कर सकते हैं। इसके अलावा, डेटा न्यूनीकरण के सिद्धांत के लिए केवल उस व्यक्तिगत डेटा के संग्रह की आवश्यकता होगी जो निर्दिष्ट उद्देश्य के लिए आवश्यक है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, डेटा सुरक्षा कानून की सफलता इस बात से तय होगी कि नए नियम कब और कैसे बनाए जाते हैं और उन्हें कितने प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट के वकील और साइबर कानून विशेषज्ञ विराग गुप्ता ने आईएएनएस को बताया, "यह भी समझना जरूरी है कि नए नियम बनने तक पुराने आईटी नियमों की स्थिति क्या होगी। साथ ही, हमें यह भी देखना होगा कि भारत के नए विदेशी टेक कंपनियों के लिए कानून के तहत आम लोगों की शिकायतों के निवारण के लिए व्यावहारिक तंत्र कितना प्रभावी होगा।"

गुप्ता ने जोर देकर कहा कि अवैध डेटा कारोबार पर रोक के साथ नए कानून के मुताबिक, अगर डेटा कारोबार से टैक्स वसूला जाएगा तो समाज और अर्थव्यवस्था दोनों मजबूत होंगे।

विधेयक में नागरिकों के डेटा की सुरक्षा करते हुए डिजिटल बाजारों को अधिक जिम्मेदारी से विकसित करने में सक्षम बनाने के लिए नियमों का उल्लंघन करने पर बड़ी इंटरनेट कंपनियों के प्लेटफार्मों पर न्यूनतम 50 करोड़ रुपये से लेकर अधिकतम 250 करोड़ रुपये तक के भारी जुर्माने का प्रावधान है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चन्द्रशेखर के अनुसार, डीपीडीपी विधेयक निश्चित रूप से एक ऐसा कानून है जो एक गहरा स्थायी व्यवहार परिवर्तन लाएगा और किसी भी भारतीय नागरिक के व्यक्तिगत डेटा का दुरुपयोग या शोषण करने वाले किसी भी या सभी प्लेटफार्मों के लिए उच्च दंडात्मक परिणाम तैयार करेगा।

उन्होंने हाल ही में एक वीडियो संदेश में कहा, "कई वर्षों से यह ज्ञात है कि कई प्लेटफ़ॉर्म, कंपनियां या डेटा फ़िडुशियरी न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में व्यक्तिगत नागरिकों का व्यक्तिगत डेटा एकत्र कर रहे हैं और उस व्यक्तिगत डेटा का अपने स्वयं के व्यवसाय मॉडल, एल्गोरिदम के लिए और कई अन्य तरीकों से शोषण कर रहे हैं।“

यह उस व्यक्ति की जागरूकता या सहमति के बिना किया गया है जिसका यह व्यक्तिगत डेटा था।

मंत्री ने जोर देकर कहा, "यह निश्चित रूप से एक ऐसा कानून है जो एक गहरा स्थायी व्यवहार परिवर्तन लाएगा और किसी भी भारतीय नागरिक के व्यक्तिगत डेटा का दुरुपयोग या शोषण करने वाले किसी भी या सभी प्लेटफार्मों के लिए दंडात्मक परिणाम, उच्च दंडात्मक परिणाम पैदा करेगा।"


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