जलवायु में सुधार के लिए बड़ी छलांग लगानी होगी
जर्मनी के जलवायु सम्मेलन पीटर्सबर्ग डायलॉग में दुनिया के 40 देशों के प्रतिनिधी जलवायु से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इसके लिए बड़े कदमों पर सहमति बनाने की मांग की है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने दुनिया से "जलवायु के लिए एक बड़ी छलांग" लगाने की अपील की है. जर्मनी में सालाना जलवायु सम्मेलन पेटर्सबर्ग डायलॉग को संबोधित करते हुए गुटेरेश ने यह बात कही. बर्लिन में 2 मई को शुरू हुए दो दिनों के इस सम्मेलन के पहले दिन गुटेरेश ने विडियो संदेश के जरिए संबोधित किया. इसमें 40 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं.
पेटर्सबर्ग डायलॉग
पेटर्सबर्ग डायलॉग का यह 14वां संस्करण है. 2010 में बॉन के पेटर्सबर्ग हिल से इस सम्मेलन की शुरुआत हुई थी और वहीं से इसे यह नाम मिला. इसे जर्मनी की पूर्व चांसलर अंगेला मैर्केल ने शुरू किया था. जर्मनी का विदेश मंत्रालय यह सम्मेलन बुलाता है. इस बार यह जलवायु सम्मेलन बर्लिन में हो रहा है.
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इस बार अगले जलवायु सम्मेलन, कॉप 28 से पहले दुनिया के देश बैठ कर आपस में जलवायु से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं. कॉप 28 इस साल नवंबर में दुबई में होगा. गुटेरेश ने सम्मेलन में आए लोगों से कहा, "हम जानते हैं कि 1.5 डिग्री का रास्ता संभव है." पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्य में ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाने से रोकने पर दुनिया के देश सहमत हुए थे. गुटेरेश ने कहा कि इसके लिए दुनिया के विकसित देशों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं को "लंबे समय से लंबित धन" मुहैया कराना होगा इसके साथ ही, "जीवाश्म ईंधन की आदत बदलनी होगी."
आशाभरी तस्वीर
मंगलवार को अपने शुरुआती भाषण में जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने एक आशाभरी तस्वीर दिखाने की कोशिश की. उन्होंने उम्मीद जताई है कि औद्योगिक देश लंबे समय से चले आ रहे अपने वादे को निभाएंगे और आर्थिक रूप से गरीब देशों की मदद के लिए आगे आएंगे.
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बेयरबॉक ने कहा, "अच्छी खबर यह है कि इस वक्त चीजें जहां हैं, वहां से हम उस राह पर जा रहे हैं जो अंत में 100 अरब यूरो की रकम तक इस साल पहुंच जाएगा." बेयरबॉक का इशारा उस रकम की ओर था, जो दुनिया के अमीर देश सालाना खर्च करने के लिए तैयार हुए थे. जर्मनी ने पहले ही अपनी भागीदारी कम से कम 6 अरब यूरो बढ़ाने की बात कही है.
हालांकि जलवायु की सुरक्षा और बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग के हिसाब से खुद को ढालने के लिए हजारों अरब रकम की जरूरत होगी. बेयरबॉक का कहना है, "सिर्फ सार्वजनिक पैसे से यह जरूरत पूरी नहीं हो सकेगी. इसलिए यह जरूरी है कि बड़े पैमाने पर निजी धन भी जुटाया जाए."
अमेरिका के साथ मिल कर जर्मनी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक में सुधार करने की कोशिश में जुटा हुआ है. बेयरबॉक ने कहा, "हम चाहते हैं कि जलवायु कोष को विश्वबैंक के बिजनेस मॉडल का अनिवार्य हिस्सा हो."


