स्वच्छता को जन आंदोलन के साथ ‘मन’ आंदोलन बनाना होगा: स्वामी चिदानन्द
गंगा स्वच्छता परिवार के प्रणेता स्वामी चिदानन्द सरस्वती आज कहा कि स्वच्छता को जन आंदोलन के साथ ‘मन’ आंदोलन बनाना होगा
ऋषिकेश। गंगा स्वच्छता परिवार के प्रणेता स्वामी चिदानन्द सरस्वती आज कहा कि स्वच्छता को जन आंदोलन के साथ ‘मन’ आंदोलन बनाना होगा, तभी समाज में अप्रत्याशित बदलाव लाया जा सकता है।
स्वामी चिदानंद ने यहां लक्ष्मण झूला से राम झूला तक स्वच्छता के लिए आयोजित कार्यक्रम में कहा कि स्वच्छता वह गहना है जिसके बिना पृथ्वी का श्रृंगार अधूरा है।
उन्होंने कहा कि किसी भी सभ्य एवं विकसित समाज के लिये स्वच्छता के उच्च मानदंडों की आवश्यकता होती है। भारत एक निरन्तर प्रगतिशील राष्ट्र है लेकिन उसे सहस्राब्दी विकास लक्ष्य एवं सतत विकास को हासिल करना है तो स्वच्छता के उच्च मानदंडों को अंगीकार करना होगा और यह तभी सम्भव है जब प्रत्येक भारतीय स्वच्छ भारत मिशन से जुड़ेगा।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि स्वच्छता व्यक्तिगत नहीं बल्कि सामाजिक मुद्दा है। स्कूली छात्रों को स्वच्छता अभियान में शामिल करने का उद्देश्य है कि स्वच्छता को शिक्षण का अभिन्न अंग बनाया जाए ताकि स्वच्छता का समावेश नियम बनकर नहीं बल्कि आचरण बनकर जीवन में समाहित हो।
उन्होंने कहा कि देश के स्वच्छता परिदृश्य को देखें तो आज भी परिणाम आशाजनक नहीं है। देश के ऊर्जावान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों को स्वच्छता के लिए प्रतिबद्ध करने और माँ गंगा में स्नान करने वाले को उसकी सफाई की याद दिलायी है।
यह भारतवासियों का सौभाग्य है कि महात्मा गांधी के बाद कोई तो है जो स्वच्छता को लिये प्रतिबद्ध है और दूसरों को भी इसके लिये निरन्तर प्रेरित कर रहा है।
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद ने कहा कि देशवासी प्रधानमंत्री के सपनों को साकार करते हुये 2019 में महात्मा गांधी की 150 वीं जंयती पर उन्हें स्वच्छ भारत की श्रद्धांजलि भेंट करें।
स्वच्छता कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं और पुरुषों तथा धर्मगुरुओं ने भाग लिया और इस अवसर पर गीतों, कठपुतली प्रदर्शन और स्वच्छता नारों के जरिये लोगों को स्वच्छता के महत्व के बारे में बताया गया है और उन्हें सफाई के प्रति जागरूक किया गया।
कार्यक्रम में स्वामी चिदानन्द ने लोगों को ‘स्वच्छता ही सेवा’ का संकल्प कराया।


