सिंचाई घोटाला मामले में अजित पवार को क्लीन चिट?
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने सोमवार को महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार को दस साल पुराने सिंचाई घोटाले के ऐसे कुछ मामलों में क्लीन चिट दी है

मुंबई। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने सोमवार को महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार को दस साल पुराने सिंचाई घोटाले के ऐसे कुछ मामलों में क्लीन चिट दी है, जिसमें वह कथित तौर पर शामिल थे। यह जानकारी अधिकारियों ने दी है। एसीबी ने ऐसे कम से कम नौ मामलों में अपनी जांच को बंद कर दिया है, जिसमें अजित पवार कथित रूप से शामिल थे। यह साफ नहीं है कि इन मामलों में उनका नाम प्रत्यक्ष रूप से था या नहीं।
हालांकि, एसीबी के महानिदेशक परमबीर सिंह ने कहा कि 'आज बंद किए गए किसी भी मामले का संबंध उपमुख्यमंत्री अजित पवार से नहीं है।'
एसीबी मुंबई द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, ये नौ मामले विदर्भ क्षेत्र के वाशिम, यवतमाल, अमरावती और बुलढाणा में बड़ी और छोटी सिंचाई परियोजनाओं से संबंधित हैं।
शनिवार की सुबह उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले अजित पवार को इन मामलों से राहत मिली है।
अजीत पवार का नाम अन्य मामलों में भी है, जिन्हें 70,000 करोड़ रुपये के सिंचाई घोटाले के रूप में जाना जाता है। अतीत में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शिवसेना, आम आदमी पार्टी और अन्य ने भ्रष्टाचार के इन मामलों की बड़े पैमाने पर आलोचना की थी।
जिस वक्त यह घोटाला सामाने आया उस समय अजीत पवार कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की गठबंधन सरकार में सिंचाई विभाग संभाल रहे थे। तब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शिवसेना, आम आदमी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने नियमित तौर पर इस मुद्दे को उठाया था।
एसीबी अधिकारियों ने कहा कि सिंचाई परियोजनाओं में निविदाओं से संबंधित लगभग 3,000 शिकायतों की एसीबी जांच कर रहा है, जिसमें दो दर्जन एफआईआर दर्ज की गई हैं और पहले की तरह जांच की जा रही है। अधिकारियों ने कहा कि सोमवार को बंद की गई फाइलें केवल नौ रूटीन तरह के मामलों से संबंधित हैं।
अधिकारियों ने यह भी कहा कि सोमवार को बंद किए गए मामले सशर्त हैं तथा अधिक जानकारी सामने आने पर या अदालत के आदेश पर फाइलें फिर से खुल सकती हैं।
विदर्भ जन आंदोलन समिति (वीजेएएस) ने इन कथित घोटाले के मामलों को अचानक बंद करने पर कड़ी आपत्ति जताई है और आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है। कांग्रेस पार्टी ने भी अजित पवार से संबंधित मामलों को बंद करने पर भाजपा की कड़ी आलोचना की है और इसे लोकतंत्र के लिए धब्बा करार दिया है।


