दिल्ली के स्कूलों में भी लगेगी खुशियों की कक्षा : मनीष सिसोदिया ने किया ऐलान...
मध्य प्रदेश सरकार ने हैप्पीनेस विभाग की शुरूआत की तो अब दिल्ली सरकार नर्सरी से आठवीं क्लास तक के छात्रों के लिए हैप्पीनेस पाठयक्रम का नया विषय शुरू करने की तैयारी में है

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश सरकार ने हैप्पीनेस विभाग की शुरूआत की तो अब दिल्ली सरकार नर्सरी से आठवीं क्लास तक के छात्रों के लिए हैप्पीनेस पाठयक्रम का नया विषय शुरू करने की तैयारी में है। यह पाठ्यक्रम अगले शिक्षा सत्र से दिल्ली सरकार के सभी स्कूलों में लागू होगा। इसके तहत नर्सरी से आठवीं क्लास तक की हर क्लास में रोजाना एक पीरियड हैप्पीनेस सब्जेक्ट का होगा अर्थात खुशियों की कक्षा आयोजित होगी। दिल्ली सरकार का शिक्षा विभाग जोर -शोर से इसकी तैयारियों में लगा हुआ है।
दिल्ली के शिक्षा मंत्रीउपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि इसके लिए प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों की एक टीम लगातार राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस दिशा में हो रहे कार्यक्रमों पर रिसर्च कर रही है। दुनिया के कई ख्यातिप्राप्त अंतरर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों ने स्कूलों में हैप्पीनेस कैरिकुलम पर रिसर्च की है। कई विश्वविद्यालयों ने तो हैप्पीनेस कैरिकुलम को एक नये विभाग के रूप में भी शुरू किया है। दुनिया के कई देशों में ये पाठ्यक्रम लागू भी किया गया है।
शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि दिल्ली सरकार विशेषज्ञों से, जिसमें दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षक भी शामिल हैं, इसका पूरा खाका तैयार करवा रही है। यह पाठ्यक्रम पूरी तरह गतिविधियों पर आधारित होगा और इसकी कोई औपचारिक लिखित परीक्षा नहीं होगी। लेकिन अन्य विषयों की तरह समय.समय पर इसका मूल्यांकन हर एक बच्चे की हैप्पीनेस इंडेक्स के माध्यम से किया जाएगा।
श्री सिसोदिया ने कहा कि पड़ोसी देश भूटान में सरकार सभी नागरिकों की हैप्पीनेस इंडेक्स तैयार करती है तो ऐसे में स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों के मस्तिष्क को, विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से, लगातार 10 साल तक खुशनुमा बने रहने का अभ्यास कराकर न सिर्फ विद्यार्थियों का अपना व्यक्तित्व बदला जा सकता है बल्कि पूरे समाज व देश की दशा और दिशा बदली जा सकती है। शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार हासिल करना नहीं बल्कि छात्रों को खुशनुमा जिंदगी जीने के लिए तैयार करना रहा है। हजारों साल पुरानी भारतीय शिक्षा परंपरा में गुरुजन या बुजुर्गजन बच्चों को हमेशा 'खुश रहोÓ का ही आशीर्वाद देते आए हैं। यानी कि हर व्यक्ति के लिए ष्खुशनुमा जिंदगीष् जीने की शुभकामना देना हमारी परंपरा का हिस्सा रहा है। ऐसे में हम शिक्षा को तनाव या अवसाद देने वाला कैसे बना सकते हैं।
उन्होंने इस पाठ्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि हम हैप्पीनेस के पाठ्यक्रम के माध्यम से बच्चे का मानसिक स्वास्थ्य विकसित करेंगे जो कि उसकी एकेडमिक उपलब्धियों जितना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सर्व शिक्षा अभियान जैसे कई प्रयोग किये हैं जिनके माध्यम से हमने साक्षरता और कुछ हद तक रोजगार उपलब्ध कराने या गरीबी दूर करने में सफलता पाई है। लेकिन एक ऐसे समय में जब स्कूलों से हत्या, छेड़छाड़, हिंसा जैसी खबरें हमें चिंतित कर रही हैं तो शिक्षा का पूरा माहौल हैप्पीनेस की शिक्षा की ओर ले जाने की जरूरत है। ये शिक्षा किसी धार्मिक ज्ञान, गुरु ज्ञान या मंत्र पर आधारित नहीं होगी बल्कि विशुद्ध रूप से बच्चों के मनोविज्ञान को समझते हुए वैज्ञानिक तरीके से उनके विचारों, उनकी इच्छाओं, उनकी प्रतिक्रियाओं आदि के अवलोकन के जरिये विभिन्न गतिविधियों द्वारा संचालित होगी।


