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वन भूमि पर अतिक्रमण को लेकर आदिवासी किसानों -वन अमलों के बीच झड़प का मामला
पूर्व कृषि मंत्री यादव बोले - सरकार में आने पर बातचीत से निकालेंगे हल

भोपाल। प्रदेश के पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव ने कहा कि प्रदेश के आदिवासी अंचलों में वन भूमि को लेकर आदिवासी किसानों और वन अमलों के बीच हो रहे संघर्ष के लिए पूरी तरह प्रदेश का शासन एवं प्रशासन जिम्मेदार है। यह सत्तारूढ़ दल के नेताओं एवं लोगों के संरक्षण में हो रहा है।
कांग्रेस की सरकार आने पर आदिवासी किसानों के साथ तालमेल बिठाकर बातचीत के द्वारा इसका हल निकालने की कोशिश की जाएगी। यादव प्रदेश में वन भूमि पर आदिवासियों किसानो द्वारा कथित अतिक्रमण एवं उसके बाद होने वाली कार्यवाही के एक सवाल पर बोल रहे थे।
दरअसल विगत वर्षों में निमाड़ अंचल सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में वन भूमि पर अतिक्रमण को लेकर स्थानीय आदिवासी किसानों एवं वन अमलें के बीच संघर्ष देखने को मिल रहा है। यह घटनाएं समय समय पर प्रदेश की सियासत को भी गरमाती रही है।
यह मामलें रहे है चर्चित -
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जुलाई 2019 में बुरहानपुर जिले के सिवाल गांव में अतिक्रमण हटाने के अभियान के दौरान वन अधिकारियों द्वारा आदिवासियों पर कथित तौर पर पैलेट गन का इस्तेमाल किया गया था। घटना में चार आदिवासी किसान घायल हो गए थे। ग्रामीणों ने दावा किया था कि वन विभाग का अमला उनकी जमीन पर वृक्षारोपण के लिये आया था। जबकि वन अधिकारियों दावा था कि ग्रामीणों ने पथराव शुरू कर दिया। इसके बाद उन्हें आत्मरक्षा में बंदूक का इस्तेमाल करना पड़ा था।
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जुलाई 2021 को खंडवा के रोहिणी वन परीक्षेत्र में अतिक्रमण हटाने गए पुलिस और वन विभाग के अमले पर वनवासियों ने पथराव कर दिया। वन विकास निगम खंडवा के रोहिणी परिक्षेत्र में कोरोना लाकडाउन के दौरान आदिवासियों ने अतिक्रमण कर लिया था। यहां पेड़ों को काटकर खेती के लिए भूमि तैयार कर ली थी। इसके साथ ही रहने के लिए टप्पर भी बनाए थे। लगभग यहां 90 एकड़ जमीन पर लगे सावन के बेशकीमती पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की गई थी।
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फरवरी 2023 में बुरहानपुर में 40 से ज्यादा लोगों ने वन विभाग के रेंज ऑफिस में घुसकर तोड़फोड़ कर दी। वन विभाग की टीम ठाठर बलड़ी क्षेत्र से 4 लोगों को गिरफ्तार कर रेंज ऑफिस लाई थी। आरोप है कि ये लोग अतिक्रमण करने की नीयत से वन विभाग के प्लांटेशन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे। आरोपियों में 2 महिला और 2 पुरुष शामिल थे।
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अक्टूबर 2022 में डिंडौरी जिले में वन अमलें और आदिवासियों में भिड़त हो गई । जिले के समनापुर वन परिक्षेत्र के सिमरधा वन ग्राम में वनकर्मी करीब 100 से अधिक मवेशी लेकर खेतों में फसल चराने पहुंचे। गांव के बैगा आदिवासियों ने इसका विरोध किया। अधिकारी बैगा आदिवासियों को अतिक्रमणकारी बता रहे हैं, तो वही बैगा आदिवासी वन विभाग के अधिकारियों पर अपनी फसल चरवाने का आरोप लगा रहे थे।
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नवंबर 2022 में नर्मदापुरम के तवानगर के पास चीचा गांव में फॉरेस्ट जमीन पर हो रहे अतिक्रमण को रोकने गए वनकर्मी से अतिक्रमणकारियों ने विवाद किया। अतिक्रमणकारी इतने हावी हुए कि उन्होंने हावी होकर वनकर्मी की वर्दी भी फाड़ दी। साथ ही पकड़ा गया ट्रैक्टर भी छुड़ाकर ले गए ।
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