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जेएनयू हिंसा के खिलाफ निकला नागरिक मार्च

जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष, सचिव सतीश यादव और कुछ शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल ने उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे से मुलाकात कर अपनी मांगे रखी।

जेएनयू हिंसा के खिलाफ निकला नागरिक मार्च
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नयी दिल्ली। देश के जाने-माने राजनीतिज्ञों, बुद्धिजीवियों और शिक्षकों ने राजधानी में गुरुवार को जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) में नकाबपोशों द्वारा की गयी हिंसक घटना के विरोध में नागरिक मार्च निकालकर कुलपति एम जगदीश कुमार को बर्खास्त करने तथा छात्रों के विरुद्ध से एफआईआर हटाने की मांग की और सरकार से निष्पक्ष न्यायिक जांच कराने की मांग की है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी, पूर्व माकपा महासचिव प्रकाश करात, पूर्व राज्यसभा सांसद बृंदा करात, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा, प्रसिद्ध समाजवादी नेता शरद यादव,राष्ट्रीय जनता दल के नेता एवं राज्यसभा सदस्य मनोज झा, वकील प्रशांत भूषण समेत कई राजनीतिज्ञों ने राजधानी के मंडी हाउस से लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सामने तक मार्च किया। इसमें जेएनयू के शिक्षकों और छात्रों के अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अंबेडकर विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया। रैली में भाग लेने वाले छात्र और शिक्षक हाथों में तख्तियां और बैनर लिये श्री जगदीश कुमार की हिंसा की इस घटना में मिलीभगत होने का आरोप लगाया और उन्हें तत्काल बर्खास्त करने की सरकार से मांग की एवं नकाबपोश हमलावरों को अविलंब गिरफ्तार करने की भी मांग की है। रैली में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जयति घोष, मशहूर रंगमंच निर्देशक एम के रैना, जनवादी लेखक संघ के अतिरिक्त महासचिव मुरली मनोहर प्रसाद सिंह तथा जेएनयू शिक्षक संघ और जेएनयू छात्रसंघ के नेता आदि भी शामिल थे।

जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष, सचिव सतीश यादव और कुछ शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल ने उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे से मुलाकात कर अपनी मांगे रखी।

जेएनयू में सुबह से ही बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था और विश्वविद्यालय के सभी निकास द्वारों को बंद किया गया था लेकिन फिर भी बड़ी संख्या में छात्र मंडी हाउस पहुंचे और नागरिक मार्च में शामिल हुए। मंडी हाउस में शिक्षक और छात्र पूर्वाह्न साढ़े 11 बजे से जुटना शुरू हो गये थे लेकिन पुलिस ने वहां पर धारा 144 लगा रखी थी और देर तक प्रदर्शनकारियों को रोके रखा। दोपहर बाद करीब एक बजे प्रदर्शनकारियों ने मार्च निकालना शुरू किया जिसे मानव संसाधन मंत्रालय कार्यालय से थोड़ा पहले राजेन्द्र प्रसाद मार्ग पर रोक दिया गया।

श्री येचुरी ने कहा कि जेएनयू के कुलपति का इस्तीफा नहीं बल्कि उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए क्योंकि उन्होंने तीन घंटे तक नकाबपोशों को कैम्पस में तोड़फोड़, मारपीट तथा छात्रों और शिक्षकों पर हमला करने दिया। इतना ही नहीं उन्होंने पुलिस को परिसर में नहीं बुलाया जबकि पुलिसकर्मी मेनगेट पर खड़े थे। उन्होंने पुलिस को तब परिसर में आने दिया जब नकाबपोश हमलावर परिसर से निकल गये। उन्होंने कहा कि कुलपति ने हिंसा के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआईआर तक नहीं करायी उल्टे घायल छात्रों के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज करा दी गयी।

इस बीच, करीब 20 देशों के 250 से अधिक शिक्षाविदों और अकादमिक जगत की हस्तियों ने जेएनयू के कुलपति से इस्तीफा देने की मांग की है और कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में इस प्रकार की हिंसा न केवल अकादमिक स्वतंत्रता बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है और इसके लिए कुलपति जिम्मेदार है। कुलपति ने छात्रों को सुरक्षा प्रदान नहीं की है।

न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के प्रो अर्जुन अप्पा दुरई और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की प्रियम्बदा गोपाल द्वारा यहां जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, न्यूजीलैंड जैसे देशों के शिक्षाविदों ने जेएनयू में हुई हमले पर गहरा रोष प्रकट किया है।

जेएनयू के एक शोधार्थी छात्र ने कहा कि सरकार और जेएनयू प्रशासन की मिलीभगत से रविवार को कैम्पस से सुनियोजित हिंसा को अंजाम दिया गया है और अब जांच के नाम पर लीपापोती की जा रही है। पुलिस प्रशासन इस प्रकार मिली हुई है कि हिंसा की घटना वाले स्थान पर जांच टीम को नहीं ले जाया जा रहा बल्कि जांच दलों को प्रशासनिक खंड में घुमाया गया है ताकि जांच को प्रभावित किया जा सका। उन्होंने कहा कि रातभर कैम्पस में बड़ी संख्या में पुलिस तैनात रहती है और कैम्पस के ऊपर ड्रोन से निगरानी रखी जाती है। इससे छात्रों के बीच दहशत का माहौल है।

फीस वृद्धि वापस लेने की मांग को लेकर दो महीने से अधिक समय से कैम्पस में छात्र आंदोलन कर रहे हैं। प्रशासनिक खंड में लगातार आंदोलन चल रहा है लेकिन रविवार की हिंसक घटना के बाद साबरमती हॉस्टल के बाहर दिनरात आंदोलन जारी है। हिंसा की सबसे अधिक घटना साबरमती हॉस्टल में ही हुई थी।

श्री एम के रैना ने कहा कि जेएनयू में हिंसा के बाद पहली बार कुलपति एक निजी टेलीविजन चैनल से बातचीत कर रहे थे जिसमेें उनका झूठ साफ दिखायी दे रहा था। उन्होंने कहा कि नकाबपोशों के साथ कुलपति जगदीश कुमार स्वयं हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं, इसलिए उन्हें खुद अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जयति घोष ने कहा कि जेएनयू में फीस वृद्धि को लेकर चल रहे आंदोलन को खत्म करने के लिए मानव संसाधन मंत्रालय ने छात्रों की मांगों को मान लिया था लेकिन प्रशासन ने बीच में रोक दिया। इससे साफ पता चलता है कि प्रशासन के लोग ही हिंसा को बढ़ावा देना चाहते थे। उन्होंने कहा कि जेएनयू में किसने हिंसा करायी है, सभी को पता है और सिर्फ दिल्ली पुलिस को इसकी जानकारी नहीं है, इसलिए दोषियों की गिरफ्तारी नहीं हो रही है। जेएनयू हिंसा के बाद जिस प्रकार से देशभर से छात्रों और समाज के अन्य समूहों ने यहां के छात्रों के साथ एकजुटता दिखाई है, उससे साफ हो गया है कि अब मोदी सरकार की ज्यादती नहीं चलने वाली है।

माकपा की नेता बृंदा करात ने कहा कि दिल्ली पुलिस केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है, जेएनयू परिसर में मिलीभगत से हिंसक घटना हुई है। इसीलिए हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों की अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। परिसर में हिंसा के बाद वहां के कुलपति को अपने पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है।

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार द्वारा धर्म के आधार पर देश के लोगों को बांटने की कोशिश की जा रही है। इसके खिलाफ विश्वविद्यालयों में आ‌वाज उठाने पर उसे दबाया जा रहा है। सरकार दमनकारी हो गयी है।

भाकपा के डी राजा ने कहा कि जेएनयू के कुलपति अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते और उन्हें तत्काल पद से हटाया जाना चाहिए। छात्रों की मांग जायज है, इसलिए वह छात्रों के साथ एकजुटता देने के लिए यहां आये हैं।


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