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करोड़ों खर्च के बाद भी तय नहीं हुईं शहर की प्राथमिकताएं

शहर में उन परियोजनाओं पर फिजूल खर्च किया गया जिनकी जरूरत भी नहीं थी। इनमे से अधिकांश परियोजनाओं का 70 प्रतिशत काम पूरा किया जा चुका है। परियोजनाओं का निर्माण बीच में नहीं रोका जाएगा

करोड़ों खर्च के बाद भी तय नहीं हुईं शहर की प्राथमिकताएं
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नोएडा। शहर में उन परियोजनाओं पर फिजूल खर्च किया गया जिनकी जरूरत भी नहीं थी। इनमे से अधिकांश परियोजनाओं का 70 प्रतिशत काम पूरा किया जा चुका है। परियोजनाओं का निर्माण बीच में नहीं रोका जाएगा।

निर्माण पूरा होने के बाद ही विचार किया जाएगा। यह कहना है औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना का। वह गुरुवार को 5 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सिर्फ वहीं, परियोजनाएं बनाए जिनकी जरूरत शहरवासियों को हो। न कि एक अधिकारी व अमुक व्यक्ति को यह विगत शासन काल में हो चुका। यहा नहीं चलेगा। ऐसे में एक दर्जन से ज्यादा परियोजनाओं पर औद्योगिक विकास मंत्री ने आपत्ति जाहिर की।

बैठक में सिटी बस टर्मिनल का प्रजेंटेशन किया गया। इसका निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है। करोड़ों रुपए की लागत से तैयार इस टर्मिनाल को फिजूल खर्ची बताया गया। औद्योगिक विकास मंत्री ने स्पष्ट कहा कि यहा एक बस डीपो पहले से बना हुआ है। जहां से लखनऊ, अलीगढ़ व अन्य शहरों के लिए बसे जाती है। इसे टर्मिनल में बदला जाए तो बात ठीक है। लेकिन जहां सिर्फ सेक्टर को सेक्टर से जोड़ने की बात हो उन बसों के लिए करोड़ों रुपए खर्च करना कहा कि बात है।

इसकी सवारियां सेक्टर में शेल्टरों के नीचे खड़ी होती है न कि टर्मिनल में ऐसे में इसके निर्माण की एक वजह भी नहीं बनती। वहीं, शहर में भूमिगत पार्किंग का निर्माण किया जा रहा है। 5 हजार से 7 हजार क्षमता वाली पार्किंग का निर्माण तो किया जा रहा है लेकिन यदि एक पार्किंग में इतनी कारें खड़े होंगे तो उनके एंट्री व एक्जिट प्वाइंट पर ध्यान क्यो नहीं दिया गया। ऐसे एक दर्जन से ज्यादा परियोजनाओं पर औद्योगिक विकास मंत्री ने आपत्ति जाहिर कि जिसको लेकर प्राधिकरण अधिकारियों को फटकार भी लगाई गई।

प्राथमिकता के तौर पर करे काम

बैठक के दौरान सतीश महाना ने स्पष्ट कहा कि विगत के वर्षों में सिर्फ एक अधिकारी व एक अमुक व्यक्ति के लिए ही काम किया जाता था। अमुक ने कहा कि यहा एक क्लब या सामुदायिक भवन का निर्माण किया जाए। तो वह होता था। जिसमे अधिकारियों का प्रलोभन छुपा होता था। फिलहाल अब ऐसा नहीं चलेगा। सिर्फ प्राथमिकता के तौर पर काम किया जाए।

फिजूल खर्ची को लेकर दो परियोजना का होगा रिव्यू

सेक्टर-39 में निमार्णाधीन अस्पताल व सेक्टर-96 प्राधिकरण का दो ब्लाकों में पहला ब्लाक आठ मंजिल व दूसरा ब्लाक 18 मंजिल का बनाया जा रहा है। जबकि आठ फ्लोर का बनाया जा रहा सरकारी अस्पताल के बजट के रिव्यू किया जाए साथ ही इन परियोजना की पूरी समीक्षा की जाए। इनके बजट को कम व परियोजना में बदलाव किया जा सकता है।


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