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पंजाब में गैरकानूनी तरीके से खूब बिक रही सिगरेट

पंजाब में गैरकानूनी तरीके से सिगरेट की बिक्री आम हो चुकी है। इससे धूम्रपान करने वालों के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा पैदा हो गया

पंजाब में गैरकानूनी तरीके से खूब बिक रही सिगरेट
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चंडीगढ़। पंजाब में गैरकानूनी तरीके से सिगरेट की बिक्री आम हो चुकी है। इससे धूम्रपान करने वालों के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा पैदा हो गया है।

तंबाकू-रोधी कार्यकर्ताओं ने यह सूतना आज दी। तंबाकू से होने वाले नुकसान से लोगों को जागरूक करने में जुटे कार्यकर्ताओं का कहना है कि अवैध सिगरेट की बिक्री एक संगठित अपराध है, जो न केवल राज्य के उच्च करों की पकड़ से बचे रहते हैं, बल्कि धूम्रपान करने वालों के जीवन के साथ भी खेल रहे हैं।

औद्योगिक ने आज कहा कि अकेले पंजाब में कानूनी तौर पर 12 करोड़ सिगरेट का वार्षिक बाजार है और इस कुल व्यापार का 20 फीसदी अवैध बाजार है।

चंडीगढ़ और पंचकूला शहरों में सालाना 3 करोड़ और 60 लाख सिगरेट का बाजार है और इनमें अवैध बाजार की हिस्सेदारी 15-20 फीसदी है।

अधिकांश अवैध सिगरेट ब्रांड चीन और इंडोनेशिया से आ रहे हैं और खुदरा विक्रेता भी इनकी ओर आकर्षित हैं, क्योंकि ये वैध रूप से बिकने वाली सिगरेट की तुलना में काफी कम कीमत पर उपलब्ध हैं। ये सिगरेट बाजार में वैध उत्पाद की कीमत से महज पांचवें हिस्से की राशि पर बेची जाती हैं।

एक सूत्र ने कहा, "लुधियाना, जालंधर, पटियाला और अमृतसर जैसे बड़े शहरों में अवैध ब्रांडों का व्यापार काफी तेज हो रहा है। खुदरा विक्रेता ऐसे ब्रांडों को बेचना पसंद करते हैं, जो बाजार में सस्ते हैं और उनमें लाभ मार्जिन बहुत बड़ा है।"

उन्होंने कहा कि कर की चोरी के कारण भारतीय ब्रांड और अवैध सिगरेट के मूल्यों में काफी अंतर है।

टोबैको इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (टीआईआई) के एक सदस्य ने कहा, "हम पंजाबभर में अवैध सिगरेट बेचने वाले आउटलेट्स की एक सूची पेश कर चुके हैं, लेकिन स्थानीय अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। लुधियाना और जालंधर में डिप्टी कमिश्नर के कार्यालयों के बाहर की दुकानें व खोखे इस गुप्त व्यापार में लिप्त हैं।"

टीआईआई ने कई बार पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के सामने इस मुद्दे को उठाते हुए अवैध तंबाकू उत्पाद बेचने वाले खुदरा विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

राज्य में हुक्का और हुक्का बार पर स्थायी रूप से प्रतिबंध लगाने के लिए पिछले साल मार्च में विधानसभा में एक विधेयक पारित किया गया था।


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