चुनावी पंच - भाजपा से हिसाब चुकता करेंगे जाट !
ऐसा लगता है कि आरक्षण के मुद्दे पर नाराज जाट बिरादरी ने इस बार भाजपा से अलग आरएलडी की ओर जाने का मन बना लिया है।

डीबी लाइव
उत्तर प्रदेश के चुनावों में कल पहले चरण का मतदान संपन्न हुआ।
मौसम परीक्षाओं का है, तो यूं भी कहा जा सकता है कि चुनावी परीक्षा का पहला पेपर हो गया।
पश्चिमी उत्तरप्रदेश में पहले चरण की 73 सीटों के लिए मतदान हुआ। जिसमें सपा-कांग्रेस गठबंधन, बसपा और भाजपा सबकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
यहां पिछले विधानसभा चुनाव में अखिलेश लहर को बीएसपी की ओर से कड़ी टक्कर मिली थी। तब मोदी लहर नहीं थी।
नोएडा सीट से केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह, मेरठ सीट पर भाजपा के दिग्गज और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी, सरधना से भाजपा के विवादों में रहे नेता और मौजूदा विधायक संगीत सोम, कैराना से भाजपा सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह, मथुरा सदर सीट से भाजपा के महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ढाई साल पहले चली मोदी लहर के सहारे ही मैदान में उतरे हैं। तो वहीँ, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नजदीकी अतुल प्रधान, कांग्रेस के दिग्गज नेता और विधायक दल के प्रमुख प्रदीप माथुर की किस्मत ईवीएम में बंद हो गई।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के करीब 27 जिले ऐसे हैं जहां जाट और गुर्जर निर्णायक हैं।
2012 में हुए विधानसभा चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा को 24, बीएसपी को 23, बीजेपी को 13, आरएलडी को 9 और कांग्रेस को 5 सीटें मिली थीं। सपा तब सबसे ज्यादा सीटें लाई थी और कांग्रेस सबसे कम, लेकिन अब दोनों साथ हैं, तो देखना होगा कि समीकरण कैसे बदलते हैं। आरएलडी भी इस गठबंधन में साथ आने वाली थी, लेकिन नहीं आई तो उसका नुकसान किसे अधिक होगा, यह जानना भी रोचक होगा।
ऐसा लगता है कि आरक्षण के मुद्दे पर नाराज जाट बिरादरी ने इस बार भाजपा से अलग आरएलडी की ओर जाने का मन बना लिया है।


