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चित्रकूट विधायक सुरेंद्र सिंह गहरवार ने कांग्रेस के भ्रष्टाचार के आरोपों को किया खारिज

चित्रकूट के भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह गहरवार ने क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी पर लगाए जा रहे भ्रष्टाचार के आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया

चित्रकूट विधायक सुरेंद्र सिंह गहरवार ने कांग्रेस के भ्रष्टाचार के आरोपों को किया खारिज
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सतना। चित्रकूट के भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह गहरवार ने क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी पर लगाए जा रहे भ्रष्टाचार के आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया।

सुरेंद्र सिंह गहरवार ने कहा, "कांग्रेस नेताओं द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप झूठे, बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित हैं।"

उन्होंने कहा, "कांग्रेस के प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता मुकेश नायक, चित्रकूट विधायक नीलांशु चतुर्वेदी और प्रवक्ता रितेश त्रिपाठी ने मुझ पर आरोप लगाया है कि मैंने विधायक निधि के पैसों का बंदरबांट किया है, लेकिन सच्चाई यह है कि अभी तक संबंधित कार्यों के वर्क ऑर्डर तक जारी नहीं हुए हैं। जब पैसा निकला ही नहीं और न ही कहीं खर्च हुआ, तो भ्रष्टाचार कैसे हो सकता है?"

गहरवार ने कहा कि यह केवल अफवाहें हैं जो कांग्रेस फैला रही है। "कांग्रेस खुद ही अफवाहों की तरह उड़ रही है। मैं जो भी कार्य करवाना चाहता हूं, उसके लिए मैं विधिवत पत्राचार करता हूं। उदाहरण के लिए, पानी की समस्या को लेकर मैंने प्रशासन को पत्र लिखा है।"

विधायक ने कहा कि जो आदमी जिंदगी भर भ्रष्टाचार और शोषण के विरुद्ध लड़ा है, उस पर गलत आरोप लगाए जाने से पीड़ा होती है। इसलिए मैंने मीडिया के माध्यम से सच्चाई सबके सामने रखी है। क्षेत्र में पानी की किल्लत है। इस समस्या के निराकरण के लिए मैंने पत्र लिखा है। मैं कोई ठेकेदार नहीं हूं और न ही पैसा जारी करता हूं। घटना से मेरा कोई लेना-देना नहीं है।

विधायक ने कांग्रेस नेताओं को आमने-सामने बैठकर संवाद करने की भी चुनौती दी। उन्होंने कहा, "अगर कांग्रेस को कोई संदेह है, तो वे मुझसे खुलकर बात करें। झूठे आरोप लगाना और बनावटी बातें फैलाना किसी समस्या का हल नहीं है।"

कांग्रेस का आरोप है कि चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र में नल और नालियों की सफाई के लिए स्वीकृत 1.70 करोड़ रुपए की राशि का उपयोग 18 कथित कार्यों के लिए किया गया। इनमें से अधिकांश कार्य जमीन पर दिखाई ही नहीं देते। कार्यों में कोई सार्वजनिक हित नहीं था, कई जगहों पर तो काम शुरू ही नहीं हुआ। आरोप है कि राशि का 10 प्रतिशत कमीशन आरईएस विभाग में गया, बाकी राशि का गबन कर लिया गया।


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