चिंतन शिविर कोई गंतव्य नहीं बल्कि एक मील का पत्थर है : जयराम रमेश
राजस्थान के उदयपुर में आयोजित होने वाले चिंतन शिवर को कांग्रेस पार्टी ने कोई गंतव्य नहीं है बल्कि एक मील का पत्थर करार दिया है

नई दिल्ली। राजस्थान के उदयपुर में आयोजित होने वाले चिंतन शिवर को कांग्रेस पार्टी ने कोई गंतव्य नहीं है बल्कि एक मील का पत्थर करार दिया है। कांग्रेस पार्टी ने चिंतन शिविर की तैयारियों को लेकर सोमवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) का आयोजन किया। बैठक के बाद पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश और महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने संयुक्त प्रेसवार्ता कर इसकी जानकारी दी।
जयराम रमेश ने कहा कि ये एक राजनीतिक चिंतन शिविर में अयोजित किया जायेगा। ये कांग्रेस पार्टी का चौथा चिंतन शिविर होगा। देश में बहुत सारे राजनीतिक चुनौतियां है। चिंतन शिवर का मतलब ये नहीं है कि आत्म मंथन का समय है। पार्टी ने व्यक्तिगत तौर को सभी को बहुत कुछ दिया है। अब सभी को सामुहिक रूप से पार्टी के कर्ज चुकाने का समय है। चिंतन शिवर कोई गंतव्य नहीं है बल्कि एक मील का पत्थर है कि अगले दो सालों में पार्टी क्या हासिल करेगी। अगले दो साल राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2024 में लोकसभा के चुनाव हैं। इसकी तैयारी इस शिविर में की जायेगी।
वहीं रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि आगामी 13, 14 और 15 मई को उदयपुर में चिंतन शिविर के दौरान होने वाले नव संकल्प चिंतन शिविर की चर्चा सोमवार की बैठक में हुई। शिवर का लक्ष्य है पार्टी की आगामी रणनीति के एक नए रोडमैप की तैयारी करना। साथ ही सरकार की ओर से जो आक्रमण हो रहा है सरकार के द्वारा उससे लड़ने की तैयारी। देश में सामाजिक न्याय और बदलाव के लक्ष्य को लेकर पार्टी ये चिंतन शिविर आयोजित कर रही है। बैठक में बिंदुवार अपने लक्ष्य को लेकर सभी कमेटियों के सदस्यों ने उसकी चर्चा की और रिपोर्ट रखी। जिसपर सीडब्ल्यूसी के सदस्यों ने भी अपनी राय इस पर रखी।
उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि चिंतन शिविर में कांग्रेस के विभिन्न विभाग के प्रमुख, पदाधिकारी, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद सब इस बैठक में हिस्सा लेंगे। बैठक में कुल 422 सदस्य मौजूद रहेंगे। जिसमें 30-35 फीसदी युवा और 21 फीसदी महिलाओं को इस बैठक में बुलाया गया है। इसके साथ ही सीडब्ल्यूसी बैठक में दो अहम निर्णय लिए गए हैं। डिजिटल सदस्यता को लेकर कांग्रेस के संविधान में जरूरी बदलाव किया गया। लद्दाख को एक अलग टेरिटोरियल विंग बनाने का निर्णय हुआ है। जिसका प्रस्ताव कांग्रेस के चिंतन शिविर में भी रखा जायेगा।


