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चीन का रक्षा बजट भारत से 3 गुना बड़ा

चीन ने सोमवार को अपने प्रतिरक्षा खर्च में बढ़ोतरी करते हुए रक्षा बजट को पड़ोसी देश भारत से तीन गुना बड़ा रखा है

चीन का रक्षा बजट भारत से 3 गुना बड़ा
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- गौरव शर्मा

बीजिंग। चीन ने सोमवार को अपने प्रतिरक्षा खर्च में बढ़ोतरी करते हुए रक्षा बजट को पड़ोसी देश भारत से तीन गुना बड़ा रखा है। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 8.1 फीसदी कर दिया है, साथ ही वर्ष 2018 में चीन ने 6.5 फीसदी आर्थिक विकास का लक्ष्य रखा है।

चीन का रक्षा बजट 2017 में देश के जीडीपी का सात फीसदी था और यह 2013 से ही एकल अंक में है, लेकिन पिछले तीन साल के मुकाबले इस साल सबसे ज्यादा यानी जीडीपी का 8.1 फीसदी है। इस तरह चीन का 175 अरब डॉलर का रक्षा बजट भारत के रक्षा खर्च के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है।

चीनी अर्थव्यवस्था की विकास दर तीन दशक तक दोहरे अंकों में रही है, लेकिन पिछले कुछ वर्षो के दौरान इसमें सुस्ती आई है।

चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग ने सोमवार को चीनी संसद के सत्रारंभ पर नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) में वर्क रिपोर्ट पेश करते हुए आर्थिक विकास के लक्ष्य की घोषणा की।

चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी फौज है और अमेरिका के बाद वह दुनिया सबसे ज्यादा प्रतिरक्षा पर खर्च करता है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सैनिकों की संख्या में कटौती कर चीनी सेना को आधुनिक बनाने का संकल्प लिया है।

ली ने करीब 3,000 चीनी कानून निर्माताओं की मौजूदगी में गेट्र हॉल में रिपोर्ट पेश करते हुए इस बात का जिक्र किया। उन्होंने कहा, "हमने सेना में तीन लाख सैनिक कम करके इस कार्य को पूरा किया है।"

दो सप्ताह चलने वाला संसद सत्र यहां एक इतिहास रचेगा, क्योंकि हमेशा पक्ष में फैसला देने वाली विधायिका चीन में राष्ट्रपति के लिए दो कार्यकाल सीमा को हटाकर शी को निरंकुश शक्ति और खुद सेवामुक्त होने तक या जीवन र्पयत शासन करने का अधिकार प्रदान करेगी।

पार्टी की शक्तिशाली केंद्रीय कमेटी ने फरवरी में ही इस आशय का प्रस्ताव पारित किया था, जिससे पूरी दुनिया हैरान रह गई।

चीन के सम्मानित नेता देंग शियोपिंग ने 1980 में राष्ट्रपति पद पर किसी व्यक्ति के दो कार्यकाल (पांच साल का एक कार्यकाल) अधिक रहने पर प्रतिबंध लगा दिया था।

कम्युनिस्ट पार्टी की पांच सालाना बैठक के दौरान 2017 में शी ने अपने उत्तराधिकारी की घोषणा किए बगैर अपने दूसरे पांच साल के कार्यकाल की शुरुआत की थी। यह परंपरा उनके पूर्ववर्ती रहे हू जिंताओ और जियांग जेमिन ने भी अपनाई थी।

शी को 'स्टेटस ऑफ कोर' की उपाधि प्रदान की गई। इससे पहले सिर्फ माओ और देंग को यह उपाधि दी गई थी।


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