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कैलाश मानसरोवर श्रद्धालुओं को रोकने पर चीन ने साधी चुप्पी

चीन ने सोमवार को यह बताने से इनकार किर दिया कि उसने कैलाश मानसरोवर जाने वाले भारतीय श्रद्धालुओं के एक जत्थे को क्यों रोक दिया, साथ ही कहा कि इस मुद्दे पर दोनों देशों का विदेश मंत्रालय संपर्क में है

कैलाश मानसरोवर श्रद्धालुओं को रोकने पर चीन ने साधी चुप्पी
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बीजिंग। चीन ने सोमवार को यह बताने से इनकार किर दिया कि उसने कैलाश मानसरोवर जाने वाले भारतीय श्रद्धालुओं के एक जत्थे को क्यों रोक दिया, साथ ही कहा कि इस मुद्दे पर दोनों देशों का विदेश मंत्रालय संपर्क में है।

भारतीय श्रद्धालुओं को रोकने के कदम के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, "मुझे जो सूचना मिली है, उसके मुताबिक दोनों देशों का विदेश मंत्रालय मुद्दे पर संपर्क में है।"

पिछले सप्ताह, कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जा रहे पहले जत्थे के 47 श्रद्धालुओं को चीन ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर रोक दिया था। भारत ने शुक्रवार को कहा कि सिक्किम में नाथुला दर्रा होते हुए कैलाश मानसरोवर जाने वाले भारतीय श्रद्धालुओं को कुछ दिक्कतें पेश आ रही हैं और वह चीन के साथ मुद्दे पर चर्चा कर रहा है।

नाथुला दर्रा होते हुए तीर्थयात्रा में बाधा को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा, "हां, नाथुला दर्रा के रास्ते यात्रा में तीर्थयात्रियों को दिक्कतें आ रही हैं और मुद्दे पर चीनी पक्ष के साथ चर्चा की जा रही है।"

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने यह कदम तिब्बत में भूस्खलन को लेकर उठाया। भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए नाथुला दर्रे को साल 2015 में खोला गया था। हर साल सैकड़ों भारतीय श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाते हैं।

इससे पहले, भारतीय तीर्थयात्री उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रा होते हुए मानसरोवर जाते थे, जिसमें काफी वक्त लगता था। यह कदम बीजिंग में चीन के वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) शिखर सम्मेलन का भारत द्वारा बहिष्कार करने तथा परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में दाखिल होने के भारत के प्रयास में चीन द्वारा अड़ंगा लगाने के कारण दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट के बीच सामने आया है।


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