Top
Begin typing your search above and press return to search.

मिर्च खरीदते हुए आए आइडिया ने दिलाया नोबेल

इस साल चिकित्सा का नोबेल दो अमेरिकी वैज्ञानिकों ने जीता है. इन दोनों की जिंदगी और शोध की कहानियां भी अनूठी हैं. लेकिन दोनों के लिए ही नोबेल जीतना एक विशेष अनुभव है.

मिर्च खरीदते हुए आए आइडिया ने दिलाया नोबेल
X

डेविड जूलियस सुपरमार्किट के उस कोने में थे जहां बहुत से चिली सॉस यानी मिर्च की चटनी के डिब्बे रखे थे. अचानक वह अपनी पत्नी की ओर मुड़े तो उन्होंने जो बात कही, उसने दोनों की जिंदगियां बदल दीं.

डेविड जूलियस ने कहा, "मुझे लगता है कि आखिरकार मैंने पता लगा लिया है कि रसायनों से गर्मी महसूस होने की वजह क्या है.”

उनकी पत्नी भी एक वैज्ञानिक हैं. उन्होंने फौरन कहा, "ठीक है, तब काम पर लग जाओ.”

किसे मिला वैकल्पिक नोबेल

लगभग उसी वक्त ऑर्डम पैटापूटन स्पर्श के रहस्य को सुलझाने की कोशिश कर रहे थे. यानी वह पता लगाना चाह रहे थे कि हम बिना देखे भी कैसे किसी वस्तु या व्यक्ति को छूने भर से अनुभव कर लेते हैं.

अमेरिका के ये दोनों मॉलीक्यूलर बायोलॉजिस्ट इस साल चिकित्सा के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार विजेता हैं. दोनों को संयुक्त रूप से यह पुरस्कार दिया गया है जबकि दोनों ने अपनी अपनी खोजें एक दूसरे से अलग 1990 और 2000 के दशक के दौरान की थी.

जलन की जड़
जूलियस सैन फ्रांसिस्को की कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि कुछ पौधे जैसे मिर्च ऐसे केमिकल उत्पन करते हैं जिनसे जलन होती है.

इस बारे में पहले हुए शोध यह बता चुके थे कि केपासेसिन नामक रसायन के कारण न्यूरॉन्स सक्रिय हो जाते हैं और दर्द का अहसास होता है. लेकिन यह होता कैसे है, इसके बारे में पता नहीं था. 1997 में जूलियस ने पता लगाया कि स्पर्श के लिए जिम्मेदार नर्व्स के सिरों पर एक प्रोटीन होता है, जो जलन का अहसास कराता है. इसी से पता चला कि उच्च तापमान पर कैसा अहसास होता है.

इस खोज के आधार पर जूलियस ने मेथेनॉल और पुदीने की मदद से ऐसे रिसेप्टर खोजे जो सर्दी के अहसास के लिए जिम्मेदार थे. वह बताते हैं, "मुझे प्रायोगिक विज्ञान पसंद है क्योंकि प्रयोग के दौरान जब आप सोच रहे होते हैं तब आपको हाथों से काम करने का भी मौका मिलता है. इससे आपको काम में उतना ही आनंद मिलता है जैसा किसी शौकीया काम में मिलता है.”

खोज करने पर अहसास के बारे में बताते हुए जूलियस ने कहा, "एक ऐसा वक्त होता है जब आप कोई चीज खोजते हैं. तब पूरे ग्रह पर, कम से कम आप ऐसा सोचते हैं कि आप अकेल व्यक्ति है जिसे इस सवाल विशेष का जवाब पता है. वह पल वाकई सिहरा देने वाला होता है.”

एक आप्रवासी की मेहनत
स्क्रिप्स रिसर्च के पाटापोटन की खोज भी लगभग जूलियस जैसी ही है. उन्होंने ऐसे दो जीन खोजे जो दबाव को इलेक्ट्रिक सिग्नल में बदल देते हैं. यह एक दुरूह प्रक्रिया थी जिसमें पाटापोटन को एक के बाद दूसरे को डिलीट करते हुए लगातार कई जीन डिलीट करने पड़े.

गुब्बारे फुलाने वाली हीलियम

वह बताते हैं, "एक साल तक लगातार इस पर काम किया और नकारात्मक नतीजे मिलते रहे. आखिरकार 72वीं बार में जाकर जवाब मिला.”

आर्मेनियाई मूल के पाटापोटन युद्ध ग्रस्त लेबनान में बड़े हुए. वह 18 वर्ष की आयु में अमेरिका आए थे. वह कते हैं कि नोबेल पुरस्कार जीतना तो उनके ख्यालों में भी नहीं था.

जब नोबेल समिति ने सूचित करने के लिए उन्हें फोन किया तब कैलिफॉर्निया में रात के दो बजे थे और उनका फोन साइलेंट था. वह बताते हैं, "उन्होंने किसी तरह लॉस एंजेलिस में रहने वाले मेरे 94 साल के पिता से संपर्क किया. लगता है कि ‘डू नॉट डिस्टर्ब' मोड में भी वे लोग आपको कॉल कर सकते हैं जो आपके फेवरेट लिस्ट में होते हैं.”


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it