Top
Begin typing your search above and press return to search.

मप्र के नगरीय और पंचायत चुनाव के घोषणा-पत्रों में बच्चों की भी हो बात

मध्य प्रदेश में आगामी नगरीय निकायों और पंचायत चुनावों की भले ही तारीखों का ऐलान न हुआ हो, मगर राजनीतिक दलों की चुनावी तैयारियां जोरों पर हैं

मप्र के नगरीय और पंचायत चुनाव के घोषणा-पत्रों में बच्चों की भी हो बात
X

भोपाल। मध्य प्रदेश में आगामी नगरीय निकायों और पंचायत चुनावों की भले ही तारीखों का ऐलान न हुआ हो, मगर राजनीतिक दलों की चुनावी तैयारियां जोरों पर हैं। चुनाव में बच्चे मतदान तो नहीं करते मगर उनकी समस्याएं होती हैं। इन समस्याओं को लेकर राजनीतिक दलों का क्या नजरिया है और वे क्या करना चाहते है, इसे भी घोषणा-पत्र में जगह दी जाए, इसी को लेकर मंथन का दौर शुरु हो गया है। राजनीतिक दल अपने घोषणा-पत्र मंे बच्चों की किन समस्याओं को अहमियत दे रहे हैं, उनकी आगामी योजनाएं क्या है, इस पर बच्चों के हक की पैरवी करने वाली संस्था चाइल्ड राइटस ऑब्जर्वेटरी और यूनिसेफ ने मिलकर संवाद की शुरुआत की है। इस संवाद में तमाम राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

यूनिसेफ की मध्य प्रदेश प्रमुख मार्गेट ग्वाडा का मानना है कि बच्चों के लिए बजट के प्रावधानों को बढ़ाने की जरुरत है। आने वाले चुनावों के घोषणा पत्रों में बच्चों पर हिंसा, बाल विवाह, पोषण और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों के समाधान के लिये नीतियां शामिल करनी चाहिए। अब जब स्कूल खोलने की बात चल रही है तो बच्चे सीखने के जिस संकट से गुजरे हैं उसे भी घ्यान में रखा जाना जरुरी है।

चाइल्ड राइट्स आब्जर्वेटरी मध्य प्रदेश की अध्यक्ष और राज्य की पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच ने कहा कि राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों पर चुनाव का घोषणा पत्र तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका के साथ मध्य प्रदेश को बच्चों के लिये सबसे सुरक्षित प्रदेश बनाने की जिम्मेदारी है।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने बताया कि घोषणा पत्र के संबंध में जो सुझाव प्राप्त हुये हंै उनमें से व्यवहारिक सुझावों को अपने दल के घोषणा पत्र में जरुर शामिल करेंगे। नगरीय संस्थाओं में हमेशा वित्तीय संकट बना रहता है, लेकिन यह संस्थाए बच्चों के लिये कार्यक्रम क्रियान्वयन में सहयोगी हो सकती हैं और इस दिशा में भाजपा का यह प्रयास रहेगा।

कांग्रेस पार्टी के विधायक हीरालाल अलावा का मानना है कि बच्चों के विकास में पंचायतों और नगरपालिकाओं की भूमिका होनी चाहिए। प्रदेश में शून्य से 18 साल के बच्चों की बड़ी संख्या है। बच्चों के अधिकारों को लेकर संवेदनशील तो होना ही होगा, साथ में राजनीतिक दलों को अपनी जिम्मेदारी समझनी हेागी।

भाजपा के महामंत्री भगवान दास सबनानी ने केारोना काल का जिक्र करते हुए कहा कि इस समय चुनौती है कि बच्चों को कोरोना से बचाएं और बाल श्रम से भी। भाजपा जो घोषणा पत्र तैयार करेगी, उसमें स्थानीय स्तर पर बच्चों के लिए जो काम किए जा सकते है, उन पर जोर हेागा।

सीपीआई के शैलेन्द्र शैली का मानना है कि बच्चों में सही वैज्ञानिक और शांति की समझ विकसित किया जाना जरुरी है। बच्चों की शिक्षा और उनके लिये स्वास्थ्य सुविधाएं निशुल्क होनी चाहिए। इसे घोषणा पत्र में खास स्थान दिया जाना चाहिए।

आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पंकज सिंह का कहना है कि शहरों में गांवो से मजदूरों के साथ जो बच्चे आते हंै उनके अधिकार पूरी तरह से गायब हंै। इसलिए जरुरी है कि बच्चों के अधिकार सुरक्षित रहें इसे भी घोषणा पत्र में स्थान दिया जाना चाहिए।

सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि मानते हैं कि चुनावी घोषणा पत्रों में बच्चों की समस्याओं को दूर करने के साथ उनके अधिकारों को सुरक्षित रखने की दिशा में पहल होनी चाहिए।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it