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आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को मिल रही कोदो पट्टी

पोषण आहार के नाश्ते में नवाचार

आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को मिल रही कोदो पट्टी
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- रूबी सरकार

भोपाल। कोदो उत्पादन क्षेत्र में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाले जिला डिण्डोरी के मेंहदवानी विकास खण्ड के नारी चेेतना महिला महासंघ ने अब डिण्डोरी और मण्डला के आस-पास 226 आंगनबाड़ियों में कोदो-कुटकी पट्टी की आपूर्ति शुरू की है। कुपोषण खत्म करने की दिशा में यह एक अहम कदम माना जा रहा है, क्योंकि अन्य धान की अपेक्षा इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, मेगनेशियम आदि सुक्ष्म पोषक तत्व बहुतायत में होते हैं। इसलिए यह बच्चों के लिए काफी लाभदायक है, कोदो कुटकी के सेवन से बच्चे अधिक समय तक ऊर्जावान रहते हैं।

महासंघ की सचिव रेखा पंदराम ने बताया, कि सबसे पहले कोदो पट्टी तैयार करने के लिए आवश्यक सामग्रियों की उपलब्धता और क्रय की क्षमता आदि विषयों पर कार्यकारिणी के सदस्यों के साथ चर्चा की गई। इसके बाद बाल विकास परियोजना अधिकारी मेंहदवानी से कोदो-कुटकी पट्टी वितरित करने पर विस्तृत चर्चा के बाद निर्णय लिया गया, कि ग्राम पंचायत स्तर पर वितरित किये जाने से सामग्री सहूलियत से आंगनबाड़ी केंद्रों तक उपलब्ध हो सकती है और इसी बेहतर विकल्प के आधार पर क्षेत्र पर्यवेक्षक के साथ ग्राम पंचायतवार 6 रूट तैयार किये गये। रूट चार्ट इस तरह बनाया गया, कि प्रत्येक शनिवार व रविवार को कोदो पट्टी सभी ग्राम पंचायत में उपलब्ध हो जाये और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ग्राम पंचायत से एकत्रित कर बच्चों को वितरण कर सकें। सुश्री रेखा ने कोदो आटा, सोया आटा, वनस्पति घी या तेल, गुड़, भुनी मूंगफली और भुना तिल जैसे सामग्री के लिए मण्डला, बालाघाट और डिण्डोरी के अन्य तेजस्विनी महिला महासंघ से भी संपर्क किया गया, ताकि अन्य समूह की महिलाओं को भी लाभ मिले। इसके बाद मशीनों पर काम शुरू करने से पहले स्वच्छता के लिए महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया।

पट्टी तैयार हो जाने के बाद जिला स्तर पर महिला एवं बाल विकास विभाग की बैठक हुई, और फिर जिला कार्यक्रम अधिकारी, समस्त बाल विकास परियोजना अधिकारी, पर्यवेक्षक व यूनिसेफ के अधिकारियों की उपस्थिति में यह पट्टी चखाई गई। इसके बाद आकर्षक पैकिंग की दिशा में आगे बढ़े, प्रत्येक आंगनबाड़ी के लिए एयरटाईट डिब्बे 3 राउण्ड के मान से खरीदे गये। इसके बाद बाल विकास परियोजना अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई गई बच्चों की सूची अनुसार डिब्बे तैयार कर, प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए सप्ताह में 6 दिन की उपलब्धता के हिसाब से भेजे गए। हर डिब्बा 35 ग्राम का हो इसका भी ध्यान रखा गया।

प्रत्येक डिब्बे पर ग्राम पंचायत, ग्राम व आंगनबाड़ी केंद्र का नाम अंकित किया गया, ताकि बच्चों की संख्या अनुसार कोदो पट्टी बिना किसी व्यवधान के प्रत्येक सप्ताह आंगनबाड़ी को वितरित हो जाये। सुश्री रेखा ने बताया, नवम्बर, 2017 से शुरू इस पट्टी को एक सप्ताह मीठा और दूसरे सप्ताह नमकीन रखा जाए, ताकि बच्चों में इसके प्रति रुचि बनी रहे, इस पर भी विचार चल रहा है।

गौरतलब है, कि कोदो-कुटकी विलुप्त प्रजाति की लघु धान्य फसल है। प्रदेश शासन स्तर पर कोदो-कुटकी को मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग के होटल के मेनू कार्ड व बच्चों के छात्रावास के भोजन में शामिल किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। जिला कलेक्टर डिण्डोरी द्वारा बच्चों के पोषण आहार के नाश्ते में नवाचार करते हुए आंगनबाड़ी केंद्र में इसे बच्चों को दिये जाने के लिए महिला वित्त एवं विकास निगम से अनुरोध किया गया था। यह मधुमेह रोगियों के लिए भी बहुत अच्छा खाद्य पदार्थ है।


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