Top
Begin typing your search above and press return to search.

जर्जर स्कूल भवन में पढ़ने बच्चे मजबूर

ग्रामीणों द्वारा स्वयं के खर्च में बनाये गये शा.प्रा.शा.खैरा को बने लगभग 52 वर्ष बीत गये लेकिन शिक्षा विभाग की उदासीनता के चलते आज तक इस भवन में किसी भी प्रकार का कोई मरम्मत कार्य नही किया गया है

जर्जर स्कूल भवन में पढ़ने बच्चे मजबूर
X

रतनपुर। ग्रामीणों द्वारा स्वयं के खर्च में बनाये गये शा.प्रा.शा.खैरा को बने लगभग 52 वर्ष बीत गये लेकिन शिक्षा विभाग की उदासीनता के चलते आज तक इस भवन में किसी भी प्रकार का कोई मरम्मत कार्य नही किया गया है जिसके चलते यहां कभी भी यह जमीदोंज हो सकता है एैसे मे यहां अध्ययन कर रहे 104 नौनिहालों की जिन्दगी हर समय खतरे में रहती है।

कोटा विकास खण्ड के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत खैरा में सन् 1965 में गांव के लोगों ने आपस में चंदा कर बच्चों को शिक्षा दिलाने के उद्देशय से इस स्कूल का निर्माण कराया था ताकि उनकी आने वाली पीढ़ी यहां अध्ययन कर अपना जीवन संवार सके। लेकिन वक्त के साथ बुढ़ी हो चुकी इस शा.प्रा.शा.खैरा का आज तक किसी ने सुध नहीं ली जिसके चलते छप्पर और कवेलु का उपयोग कर बनाये गये इस स्कूल की दिवारें और छप्पर अब थक चुकी है और कभी भी अपना अस्तित्व खो सकती है इस स्कूल की दिवारों पर जहां एक ओर जगह - जगह दरारें पड़ गई है वही दूसरी ओर छप्पर में लगी बल्लिया टूट चुकी है।

जिसे ग्रामीणों के द्वारा दूसरी लकड़ी का सहारा देकर टिकाया गया है ग्रामीणों के द्वारा स्कूल के हालत के बारे में कई बार शिक्षा विभाग को अवगत कराया जा चुका है वही आवेदन के माध्यम से ग्रामीण जिलाधीश के पास भी जाकर इस स्कूल की हालत के बारे में बता चुके है लेकिन ग्रामीणों की गुहार आज तक किसी ने नही सुनी है जिसके चलते गरीब ग्रामीणों के 104 बच्चे अपनी जान हथेली में लेकर यहां पढ़ाई करने मजबूर है।

10 सालों में नही बना नवीन स्कूल

राज्य सरकार एक तरफ शिक्षा का स्तर सुधारने के लिये करोड़ों रूपये खर्च कर रही है जिससे कोई भी बच्चा निरक्षर ना रहे वही सर्व शिक्षा अभियान के तहत 2006-07 में स्कूल भवन बनाने के लिये 6 लाख रूपये पंचायत फंड मे आबंटन किया गया था लेकिन ठेकेदार एवं अधिकारियों की उदासीनता की वजह से राशि सरपंच व सचिव ने मिलकर पूरी आहरण कर ली उसके बाद भी स्कूल भवन आधा अधूरा ही बन पाया।

जिस पर विभाग के द्वारा रिकवरी होने पर सरपंच व सचिव ने मिलकर 2 लाख 30 हजार राशि का भुगतान किया था इनही सब कारणों से 10 साल बीत जाने के बाद भी नवीन स्कूल भवन नही बन पाया जिे गांव के बच्चे इस र्जार स्कूल में अध्ययन करने को मजबूर है।

खतरे में बच्चों का जीवन
ग्राम पंचायत खैरा के ग्रामीणों का कहना है हम गरीब तबके होने की वजह से अपने बच्चों को किसी प्राईवेट स्कूल में नही पढ़ा सकते इस वजह से हम अपने बच्चों को गांव के ही शासकीय स्कूल में अध्ययन करा सकते है शिक्षा विभाग के द्वारा ध्यान नहीं देने से आज हमारे बच्चे 52 साल पुराने र्जार स्कूल में पढ़ने को मजबूर है इस र्जार पुराने भवन में पढ़ने से हमारे बच्चों का जीवन खतरे में है जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

शिक्षा विभाग उदासीन

शा.प्रा.शा.खैरा के र्जार स्कूल के बारे में शिक्षा विभाग, कलेक्टर एवं जन समस्या निवारण शिविर में कई बार आवेदन दिया जा चुका है लेकिन इसके बावजूद आज पर्यंत तक किसी प्रकार की कोई उचित पहल नही की गई है वही शिक्षा विभाग कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ है ।

निर्माण कार्य पूरा किया जायेगा

नवीन प्राथमिक शाला भवन अभी अधूरा पड़ा है जिसकी वजह से विद्यार्थी पुराने र्जार भवन में पढ़ने को मजबूर है अधूरे प्राथमिक शाला भवन की निर्माण के लिये राशि कम होने से भवन निर्माण अधूरा पड़ा हुआ है जल्द ही अधूरा भवन की इस्टीमेट तैयार कर भवन निर्माण कार्य किया जायेगा।

जल्द ही सुधार कार्य किया जायेगा

शा. प्रा.शा.खैरा के प्रधान पाठक को निर्देशित किया जायेगा ताकि किसी भी बच्चे को क्षति ना पहुंचे बाकी समस्याओं को भी जल्द ही सुधार किया जायेगा।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it