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फैंसी ड्रेस स्पर्धा में बच्चों ने दिखाई प्रतिभा

प्रजापिता ब्रह्मï कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा चौबे कालोनी में आयोजित समर कैम्प में बच्चों नेे फैन्सी ड्रेस प्रतियोगिता में अलग-अलग रूपों में प्रस्तुति दी.....

फैंसी ड्रेस स्पर्धा में बच्चों ने दिखाई प्रतिभा
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रायपुर। प्रजापिता ब्रह्मï कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा चौबे कालोनी में आयोजित समर कैम्प में बच्चों नेे फैन्सी ड्रेस प्रतियोगिता में अलग-अलग रूपों में प्रस्तुति देकर अपनी मौलिक प्रतिभा का परिचय दिया।

आजकल के बच्चे कितने अधिक प्रतिभाशाली हैं, इसका जीवन्त प्रदर्शन आज प्रेरणा समर कैम्प में देखने को मिला। सबसे बड़ी बात थी बच्चों का बढ़ा हुआ आत्म विश्वास। जिसने निर्णायकों को भी ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। सबसे पहले कु. श्रेया साहू ने भारत माता के रूप में प्रस्तुत होकर कहा कि मैं 132 करोड़ लोगों की मां हूं। पहले लोग मुझे सोने की चिडिय़ा कहकर बुलाते थे।

आज मैं फिर से विकास की राह पर हँू। अध्यात्म के बल पर मुझे फिर से खोया हुआ गौरव वापस मिल सकता है। श्रद्घा साहू ने स्वयं को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के रूप मेंं प्रस्तुत किया। उन्होंने सभी के अन्दर देश प्रेम के लिए जोश भरते हुए नेताजी का मशहूर नारा याद दिलाया -तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा।

कुमारी मोनिका पेसवानी ने सरदार भगत सिंह के रूप में स्वयं को प्रस्तुत करते हुए प्रसिद्घ शेर सुनाया- सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है। कु. कुमकुम साहू ने रानी लक्ष्मी बाई के रूप में आकर श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखित सुप्रसिद्घ कविता -खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी, का पाठन किया। छात्र भावेश पेसवानी पंडित जवाहर लाल नेहरू के रूप में मंच पर आए। उन्होंने बतलाया कि चाचा नेहरू को बच्चे बहुत अधिक प्रिय थे। उन्होंने बच्चों को लेकर एक रोचक कविता भी सुनाई।

कुमारी भाविका समतानी ने स्वयं को किरण बेदी के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि मेहनत करने सेे सफलता निश्चित है। छात्र आयुष दीप ने सैनिक का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा कि मैं काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार रूपी पांच विकारों से अपने देश को आजादी दिलाकर रहूँगा। कु. वेदिका वाघड़े ने सावित्रि बाई फूले के रूप में स्वयं को प्रस्तुत करते हुए नारी को अबला नहीं बल्कि सबला समझने पर जोर दिया।
इसी प्रकार कु. श्रद्घा हरिनखेड़े और लविशा पेसवानी ने रानी लक्ष्मी बाई के रूप में और कु. पायल ठाकुर ने भारत माता के रूप में अपनी प्रस्तुति दी।


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