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खालिस्तानी कट्टरपंथियों द्वारा ब्रेनवॉश किए बच्चे आज कनाडा में हैं सिख समुदाय के कर्ताधर्ता

सिख समुदाय कनाडा में सौ वर्षों से अधिक समय से मौजूद है, लेकिन इसकी संख्या 70 के दशक के अंत से तेजी से बढ़ने लगी

खालिस्तानी कट्टरपंथियों द्वारा ब्रेनवॉश किए बच्चे आज कनाडा में हैं सिख समुदाय के कर्ताधर्ता
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टोरंटो। सिख समुदाय कनाडा में सौ वर्षों से अधिक समय से मौजूद है, लेकिन इसकी संख्या 70 के दशक के अंत से तेजी से बढ़ने लगी।

सिख समुदाय की प्रोफ़ाइल में बदलाव 1970 के दशक के अंत और 1980 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ जब उनमें से बहुत से लोग पंजाब में उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए शरण मांगते हुये भारत और यूरोप से यहां आए।

सन् 1984 की घटनाओं के बाद खालिस्तान समर्थक भावना बहुत मजबूत हो गई और कट्टरपंथियों ने प्रमुख गुरुद्वारों पर कब्जा कर लिया, यहां तक कि अधिक सिख शरण मांगने के लिए देश में आने लगे।

ब्रैम्पटन स्थित पंजाबी पत्रकार बलराज देयोल कहते हैं, “पंजाब के गांवों से होने के कारण इस समुदाय पर जाटों का प्रभुत्‍व है। इन सिख नेताओं ने गुरुद्वारों पर नियंत्रण करके बढ़ते समुदाय पर अपना दबदबा बनाना शुरू कर दिया। वे अपने गांवों के पंजाबियों की सामूहिक सोच को जानते थे और उसका इस्तेमाल अपने आदेश को लागू करने के लिए करते थे।''

पंजाब में 1980 के दशक की घटनाओं के बीच, खालिस्तानियों ने पंजाब में सिखों की शिकायतों के बारे में लोगों का ब्रेनवॉश करना शुरू कर दिया।

ब्रैम्पटन समुदाय के एक नेता ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, “इसी अवधि के दौरान ये खालिस्तानी बहुत शक्तिशाली हो गए। उन्होंने गुरुद्वारों पर नियंत्रण हासिल कर लिया था। उनका दबदबा था और उनके पास पैसा था। राजनेताओं ने वोट और फंड के लिए इन नेताओं की चापलूसी शुरू कर दी। यहीं से कनाडा में बड़े पैमाने पर खालिस्तान समस्या शुरू हुई।''

“इससे भी बुरी बात यह है कि इन खालिस्तानी नेताओं ने पंजाब में सिखों के साथ होने वाले व्यवहार के बारे में सभी प्रकार की जहरीली कहानियों से उनके बच्चों का ब्रेनवॉश करना शुरू कर दिया। आज, इनमें से कई बच्चे प्रमुख दलों में सांसद, मंत्री और शीर्ष राजनेता हैं। वे भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। इन ब्रेनवॉश किये हुये लोगों के दिमाग को दोबारा ठीक करना बहुत मुश्किल होगा।''

हालाँकि कनाडा में पाँच प्रतिशत सिख भी खालिस्तान के विचार का समर्थन नहीं करते हैं, खालिस्तानी कट्टरपंथी गुरुद्वारों, राजनीतिक धन और तीनों संघीय दलों और नौकरशाही में उनकी उपस्थिति के कारण वे इतने शक्तिशाली हैं कि कुछ ही लोग उनकी अवहेलना करने की हिम्मत जुटा पाते हैं।

कनाडा में 1980 के दशक से सिख समुदाय में कट्टरपंथियों की उच्च प्रोफ़ाइल आज भारत और कनाडा के सामने मौजूद संकट का मूल कारण है।


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