नशा छीन रहा बचपन,किशोर खो रहे मानसिक संतुलन
ऊर्जाधानी में नशा के सौदागर अपने थोड़े से आर्थिक लाभ के लिए बचपन से लेकर युवा होती पीढ़ी को उस गहरी खाई में धकेल रहे हैं जहां से निकल पाना काफी दुष्कर होता है।

नशे के सौदागार घोल रहे जिंदगी में जहर
कोरबा। ऊर्जाधानी में नशा के सौदागर अपने थोड़े से आर्थिक लाभ के लिए बचपन से लेकर युवा होती पीढ़ी को उस गहरी खाई में धकेल रहे हैं जहां से निकल पाना काफी दुष्कर होता है। शहर ही नहीं बल्कि उपनगरीय क्षेत्रों में नशा बड़ी तेजी से पांव पसार कर बच्चों से उनका बचपन छीन रहा है तो कई किशोरों को विक्षिप्तों सी हरकत करते देखा जा सकता है।
बच्चों में नशा करने की आदत बीते कुछ वर्षों से ही पनपी है। कबाड़ बीन कर बेचने, भीख मांगकर गुजारा करने वाले परिवारों के बच्चों से शुरू हुई यह लत इस कदर बढ़ चली है कि प्राय: सभी स्लम बस्ती में ऐसे नशेड़ी बच्चे मिल जाएंगे। ये घुमन्तु बच्चे कचरों के ढेर से अपनी जरूरत का सामान खोजते हैं। कबाड़ी के पास लोहा, प्लास्टिक, पुट्ठा बेचकर मिले रूपए से नशा का सामान खरीदते हैं। पहले बोनफिक्स फिर मैक्सो बॉण्ड और अब सुलेशन इनके नशा का सामान है। कपड़े में इसकी कुछ बूंदें टपकाकर मुंह से सांस खींचकर इस नशा का ये उपयोग करते हैं। पेट्रोलियम की गंध इन्हें भाती है किंतु दुष्प्रभाव से ये अंजान रहते हैं।
इतवारी बाजार, मेन रोड, नहरपारा, संजयनगर, सर्वमंगला रोड, दुरपा रोड, टीपी नगर, मुड़ापार, बुधवारी बाईपास मार्ग से लेकर अन्य स्लम बस्तियों में ऐसे बच्चे मैले-कुचैले कपड़े पहने, कंधे पर बोरी लटकाए कचरों के ढेर के आसपास सहज ही नजर आ जाते हैं। पूछने पर कहते हैं- आज स्कूल नहीं गया, मां की तबियत खराब है तो दवाई के लिए पैसा कमाना है, कोई कहता है घर में पैसा नहीं है तो मां-बाप कमा कर लाने के लिए बोले हैं।
कुछ इसी तरह से युवा होते किशोर नशा के आगोश में जाकर अपनी ऊर्जा नष्ट कर रहे हैं। कतिपय संभ्रांत परिवारों के युवाओं में ब्राउन शुगर जैसे महंगे नशा का जहर महाराष्ट्र, नागपुर आदि बड़े शहरों से लाकर घोला जाने लगा तो जीवन रक्षक एम्पुल की डोज इंजेक्शन से ली जाने लगी। गांजा, शराब का नशा तो रग-रग में बह रहा है। खांसी की दवा, दर्द निवारक गोलियों का नशा के रूप में उपयोग किया जा रहा है। प्रतिबंधित दवाईयों की चोरी-छिपे बिक्री भी हो रही है जो कुछ दुकानदार महंगे दर पर उपलब्ध कराते हैं। शहर में आधा दर्जन से अधिक ऐसे युवा सड़कों पर घूमते मिल जाएंगे जो लगातार गांजा, बोनफिक्स पी-पीकर अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। कुल मिलाकर यह नशा बचपन से लेकर युवा होते किशोरों को गर्त में धकेल रहा है।
3 दिन में पकड़ाए 13 बच्चे
घुमन्तु, नशा करने वाले, बेसहारा बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था चाइल्ड लाइन ने नशेड़ी बच्चों की खोज का अभियान शुरू किया है। 27 जनवरी से प्रारंभ अभियान में महज 3 दिन के भीतर 13 बच्चों को इतवारी बाजार, टीपी नगर, बुधवारी बायपास मार्ग, मुड़ापार में पकड़ा गया जिनकी उम्र 4 से 15 साल तक है। ये बच्चे घूम-घूम कर कबाड़ सामान बीनने के बाद कबाड़ी को बेचकर प्राप्त रूपए से नशा करने के लिए सुलेशन खरीदे थे। कुछ बच्चों ने भीख मांगकर नशा करने रूपए जुटाए थे। चाइल्ड लाइन के को-ऑर्डिनेटर आशीष प्रकाश दान ने बताया कि 9 फरवरी से पुन: टीम भ्रमण कर ऐसे बच्चों को तलाशेगी।
दर्जन से अधिक दुकानदार बेच रहे
नशा करते पकड़े गए सभी 13 बच्चों को सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश कर आश्रय गृह दाखिल करा दिया गया है। पूछताछ में इन बच्चों ने टीपी नगर से लेकर पुराना शहर के कई हार्डवेयर, सायकल दुकान और जनरल स्टोर की स्वयं टीम के साथ घूमकर पहचान कराई जहां से वे नश का सामान फेवीकोल एस आर 505, सिंथेटिक रबर एड्हेसिव (सुलेशन) खरीदे थे। यही नशा करते कल कोतवाली पुलिस की एक टीम ने एक लड़की समेत 3 बच्चों को पुराना पवन टॉकिज रेलवे क्रासिंग के पास पकड़ा था। तीनों बच्चे खरमोरा अटल आवास के निवासी थे।
बेचने वाले को 7 साल की कैद व जुर्माना का प्रावधान
नशा का सामान बच्चों को बेचना दण्डनीय अपराध है। ऐसे दुकानदारों को 7 साल की कैद का प्रावधान है। किशोर न्याय और संरक्षण अधिनियम 2015 की धारा 77 में स्पष्ट है कि- जो कोई सम्यक रूप से अर्हित चिकित्सा व्यवसायी आदेश के सिवाय अन्य प्रकार से किसी बालक को कोई नशीली मदिरा या स्वापक औषधि या तम्बाकू के उत्पाद या मन: प्रभावी पदार्थ देता है या दिलवाता है, ऐसी अविधि के सश्रम कारावास जो 7 वर्ष तक हो सकता है, से दण्डनीय होगा और अर्थदण्ड के लिए भी भागी होगा जो एक लाख रूपए तक हो सकता है।
चेम्बर व पुलिस करे सहयोग
चाइल्ड लाइन ने पूर्व में बच्चों द्वारा चिन्हित दुकानों की जानकारी पुलिस अधीक्षक, चेम्बर ऑफ कॉमर्स, जिला बाल संरक्षण अधिकारी को प्रेषित की है। उक्त दुकानों की सूची उपलब्ध कराने के बाद भी कठोर कार्रवाई के अभाव में नशा के सामानों की बिक्री जारी है।
यहां तक कि सभी कबाड़ दुकानों में भी चाइल्ड लाइन ने छोटे बच्चों से कबाड़ का सामान नहीं खरीदने की अपील की है। हार्डवेयर एवं अन्य दुकानदारों से भी आग्रह किया गया है कि बच्चों को नशा का उक्त सामान न बेचें। इन सबके बाद भी नशा का सामान बेचा जा रहा है, जिस पर प्रभावी अंकुश के लिये चेम्बर ऑफ कॉमर्स, पुलिस, प्रशासन, समाजसेवियों को संयुक्त रूप से अपनी-अपनी भूमिका निभानी होगी। इस तरह के किसी भी बच्चे के दिखाई देने पर 1098 पर तत्काल सूचना दें।


