कोटाडबरी चाम्पा में रोका गया बाल विवाह
जिला बाल संरक्षण इकाई और पुलिस विभाग की संयुक्त टीम ने परिजनों को समझाईश देकर कोटाडबरी चाम्पा की एक नाबालिक बालिका की शादी रूकवा दी

जांजगीर। जिला बाल संरक्षण इकाई और पुलिस विभाग की संयुक्त टीम ने परिजनों को समझाईश देकर कोटाडबरी चाम्पा की एक नाबालिक बालिका की शादी रूकवा दी। इस टीम ने कोटाडबरी चाम्पा में बालिका के घर जाकर उसके अंकसूची की जांच की, जिसके अनुसार बालिका की उम्र 17 वर्ष 4 माह है। बालिका का विवाह आगामी 6 जून को निर्धारित किया गया था। महिला एवं बाल विकास विभाग तथा पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने बालिका के माता-पिता और स्थानीय लोगों को बाल विवाह के दुष्परिणामों से अवगत कराया। बालिका के माता-पिता ने यह बात समझी और उनकी सहमति से बालिका का विवाह रोक दिया गया। इस अवसर पर वार्ड पार्षद एवं स्थानीय लोग उपस्थित थे।
बाल संरक्षण इकाई की टीम में जिला बाल संरक्षण अधिकारी गजेन्द्र सिंह जायसवाल, संरक्षण अधिकारी सुश्री पूजा तिवारी, कुलदीप कुमार चौहान, आउटरीच वर्कर शिवनंदन सिंह मरकाम तथा बम्हनीडीह परियोजना के कर्मचारी श्रीमती निर्मला प्रधान, श्रीमती अरूणा तिवारी, श्रीमती दुर्गेश नंदनी यादव, श्रीमती निशा राम तथा पुलिस विभाग के उप निरीक्षक डी.आर. भास्कर, महिला आरक्षक क्र. 373 पुष्पलता साहू शामिल थे। इस टीम द्वारा बाल विवाह की सूचना प्राप्त होते ही महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी के निर्देश पर बालिका की उम्र की जांच कर विवाह रोकने की कार्रवाई की गई।
ज्ञातव्य है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत विवाह के लिए लड़की की उम्र 18 वर्ष तथा लड़के की उम्र 21 वर्ष निर्धारित है। निर्धारित उम्र से कम होने की स्थिति में बाल विवाह करने पर पुलिस विभाग द्वारा अपराध पंजीबद्ध करते हुए विवाह करने वाले माता-पिता, विवाह में सम्मिलित होने वाले रिश्तेदार, विवाह कराने वाले पंडित के विरूद्ध कार्यवाही की जाती है। अधिनियम के तहत 2 वर्ष कठोर सश्रम कारावास तथा एक लाख जुर्माने अथवा दोनों से दंडित किये जाने का प्रावधान है।


