मुख्य सचिव ने उच्च न्यायालय को किया गुमराह
नौकरशाही और सरकार के बीच खाई बढ़ती जा रही है और अब न्यायालय ने जहां नौकरशाही पर राज्य सरकार व केंद्र की रिश्तों पर तीखी प्रतिक्रिया दी

नई दिल्ली। नौकरशाही और सरकार के बीच खाई बढ़ती जा रही है और अब न्यायालय ने जहां नौकरशाही पर राज्य सरकार व केंद्र की रिश्तों पर तीखी प्रतिक्रिया दी तो वहीं आम आदमी पार्टी विधायक व विधानसभा की प्रश्न एवं संदर्भ समिति प्रमुख व डिप्टी स्पीकर राखी बिड़लान ने कहा कि दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक का यह भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है जब वर्ष 2012 में चुने हुए निदेशकों ने बैंक में अपने रिश्तेदारों को 40 नौकरियां व 62 लोगों को प्रमोशन दिए।
उन्होंने कहा कि सभी नियमों को ताक पर रखकर यह नियुक्ति की गई थी। इसके लिए सिर्फ एक अखबार में चपरासी की नौकरी का विज्ञापन दिया गया और आवेदन में भी गड़बड़ी पाई गई है। नौकरी के आवदेन में पता तक नही लिखा हुआ था जबकि यह डाक के जरिए बैंक में अगले दिन ही पहुंच गए थे। इस मामले की शिकायत उस समय के उपराज्यपाल व आरबीआई में की थी इसके बाद 2012 नवम्बर में हाइकोर्ट ने मामले की सुनवाई शुरू की थी व 2017 तक इस मामले में कोई फैसला नही सुनाया गया। जब 18 जनवरी 2017 को अखिलेश त्रिपाठी ने भर्तियों को लेकर सवाल पूछा तो पता चला कि बैंक में करोड़ों रुपए के लोन फर्जी तरीके से दिए गए। आरबीआई ने खुद स्पष्ट किया कि 80 प्रतिशत लोन बैंक के फर्जी थे। कमिटी की रिपोर्ट से सामने आया कि कुछ लोगों को दो-दो पद दिए गए। उन्होंने कहा कि मई में मुख्य सचिव एमएम कुट्टी से कार्रवाई करने पर पूछा तो वह कमिटी के सामने आए तब व एक्शन कमिटी की रिपोर्ट लेकर नही आये थे।
उन्होंने बताया कि अब 3 अक्टूबर तक एमएम कुट्टी को रिपोर्ट देने के लिए कहा क्योंकि 4 अक्टूबर को विधानसभा सत्र था ताकि कमेटी सदन में रिपोर्ट रख सके। एमएम कुट्टी का बयान कमिटी में दर्ज है और 16 सितम्बर को कुट्टी ने रिपोर्ट देने का वादा किया लेकिन 13 तारीख को खत लिखकर कुट्टी साहब ने 10 दिन का समय मांगा।
उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव एमएम कुट्टी ने दिल्ली हाइकोर्ट के सामने झूठ बोला है। कुट्टी ने दवाब बनाने की बात न्यायालय में कही है जो कि झूठ है।
उन्होंने आरोप लगाया कि हाइकोर्ट ने गुमराह होकर, कुट्टी साहब के झूठ के आधार पर जल्दबाजी में फैसला दिया है। उन्होंने दावा किया कि मुख्य सचिव ने जो कहा है उसका एक एक शब्द ऑडियो रिकॉर्ड है व वक्त आने पर जनता के सामने यह लाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों को न्यायालय से राहत मिल जाती है। न्यायपालिका को विधानसभा कमेटी के मामलों में दखल नही देना चाहिए। इस बाबत आयोजित प्रेस वार्ता में विधायक सौरभ भारद्वाज, राजेश ऋषि, अखिलेश पति त्रिपाठी सहित अन्य विधायक सदस्य भी मौजूद थे।


