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छत्तीसगढ़: चुनाव से पहले 'महादेव' सट्टा ऐप घोटाले का साया

'महादेव' सट्टा ऐप के संस्थापकों पर घोटाले के आरोप काफी पहले लग गए थे लेकिन छत्तीसगढ़ चुनावों से ठीक पहले यह कांग्रेस के लिए समस्या बन गया है. क्या ये आरोप बनेंगे चुनावों का सबसे बड़ा मुद्दा?

छत्तीसगढ़: चुनाव से पहले महादेव सट्टा ऐप घोटाले का साया
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छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनावों से ठीक पहले इस घोटाले में शामिल होने के आरोप मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए समस्या का कारण बन सकते हैं. बीते सप्ताह घोटाले के आरोपों की जांच कर प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने कहा था कि ऐप के प्रोमोटरों ने बघेल को 508 करोड़ रुपये रिश्वत में दिए थे.

रविवार को बीजेपी ने एक वीडियो जारी किया जिसमें अपना नाम शुभम सोनी बताने वाला एक व्यक्ति खुद को ऐप का मालिक बता रहा है और दावा कर रहा है कि वह बघेल के कहने पर दुबई चला गया था. इस व्यक्ति का कहना है कि उसने अभी तक बघेल और "उनके लोगों" को 508 करोड़ रुपये दिए हैं.

क्या है मामला

ईडी इस मामले में 2022 से ही जांच कर रही है. एजेंसी का आरोप है कि 'महादेव ऑनलाइन बुक' कंपनी इंटरनेट पर गैर कानूनी रूप से सट्टा लगाने का काम कर रही थी. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ईडी का मानना है कि ऐप के मालिकों ने लोगों को धोखा देकर ऐप से कम से कम 5,000 करोड़ रुपये कमाए हैं.

सोनी का वीडियो सामने आने से पहले तक दुबई में रह रहे छत्तीसगढ़ के दो व्यापारियों, सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल को 'महादेव' ऐप का मालिक माना जा रहा था. अगस्त, 2023 में ईडी ने इस मामले से जुड़े 10 ठिकानों पर छापे मारे थे और चार लोगों को गिरफ्तार भी किया था.

ईडी की चार्जशीट में 14 लोगों का नाम है, जिनमें यह दोनों शामिल है. बघेल ने ईडी के आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि "बीजेपी, ईडी और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों के जरिए चुनाव लड़ना चाह रही है."

ईडी के अधिकारी सौरभ कुमार पांडे ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया कि एजेंसी ने सोनी को जांच के सिलसिले में समन भेजा था लेकिन वह दुबई में है और उसने भारत आने की जगह, वहां से यह वीडियो भेज दिया.

कांग्रेस का हाल

छत्तीसगढ़ में विधान सभा चुनावों के तहत सात नवंबर को पहले चरण का मतदान होना है. मतदान से एन पहले घोटाले में बघेल का नाम आने से उनके लिए समस्या खड़ी हो गई है, लेकिन उन्होंने इन आरोपों का सामना करने का इरादा जताया है.

हालांकि चुनावी रूप से कांग्रेस मजबूत स्थिति में नजर आ रही है. 2018 के चुनावों में कांग्रेस ने बीजेपी के 15 साल के शासन का अंत कर भारी बहुमत से जीत हासिल की थी. 90 सदस्यों की विधानसभा में इस समय कांग्रेस के पास 71 सीटें हैं और बीजेपी के पास 15.लेकिन पार्टी में अंदरूनी कलह की समस्या जरूर है.

पार्टी के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे लेकिन उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया. वह लगातार नाखुश होने के संकेत देते रहे. अंत में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को यहां तक लगने लगा कि कहीं सिंहदेव की नाराजगी की वजह से पार्टी का नुकसान ना हो जाए.

इसलिए जून 2023 में चुनावी साल में उन्हें उप मुख्यमंत्री बना दियागया. पार्टी को अब उम्मीद है कि दोनों नेता मिलकर पार्टी के हित में चुनाव लड़ेंगे. वहीं बीजेपी के लिए चुनौतियां कहीं ज्यादा हैं.

बीजेपी का संकट

बीजेपी की तरफ से राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के अलावा कोई और चेहरा नहीं है और उनकी लोकप्रियता भी अब उस तरह की नहीं है जैसी कभी हुआ करती थी. सीएसडीएस के निदेशक संजय कुमार ने एक लेख में लिखा है कि सिंह की लोकप्रियता बीजेपी के अनुमानित वोट शेयर से भी कम है.

कुमार ने यह भी लिखा है कि चुनाव पूर्व सर्वे में बीजेपी कांग्रेस से पीछे नजर आ रही है. इस सर्वे के आधार पर यह भी कहा गया है कि जहां छत्तीसगढ़ के मतदाताओं के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी लोकप्रिय हैं और लोग उनके नाम पर बीजेपी को वोट दे सकते हैं. हालांकि यह कहना मुश्किल है कि उनका नाम और चेहरा पार्टी को जीत दिलाने के लिए काफी होगा.


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