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बोरवेल में 105 घंटे और जीत गई जिंदगी : 10 साल के राहुल के जज्बे को सलाम कीजिए

कहा जाता है जाको राखे साईंया मार सके न कोय। यह बात छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में 65 फुट गहरे बोरवेल में गिरे 11 वर्षीय राहुल पर पूरी तरह सटीक बैठती है

बोरवेल में 105 घंटे और जीत गई जिंदगी : 10 साल के राहुल के जज्बे को सलाम कीजिए
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जांजगीर/रायपुर। कहा जाता है जाको राखे साईंया मार सके न कोय। यह बात छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में 65 फुट गहरे बोरवेल में गिरे 11 वर्षीय राहुल पर पूरी तरह सटीक बैठती है, जो 105 घंटे तक बोरवेल के गड्ढे में फंसा रहा और राहत व बचाव दल ने मौत को मात देकर उसे सुरक्षित निकालने में कामयाबी पाई। इसे देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन माना जा रहा है। ज्ञात हो जांजगीर-चांपा जिले के मालखरौदा ब्लाक के ग्राम पिहरीद निवासी लालाराम साहू का 11 वर्षीय पुत्र राहुल साहू शुक्रवार को दोपहर को लगभग दो बजे घर की बाड़ी में खेल रहा था। इसी दौरान वह खुले पड़े बोरवेल के गडढे में गिर गया। उसे सुरक्षित निकालने में चार दिन से राहत और बचाव कार्य जारी था।

बीते चार दिनों में राहत और बचाव दल के सामने कई तरह की बाधाएं आई मगर मंगलवार-बुधवार की आधी रात को राहुल को बाहर निकालने मंे सफलता हासिल हुई। राहुल को बाहर निकाले जाने के बाद मौके पर मौजूद चिकित्सा दल द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य जांच की गई। ग्रीन कॉरिडोर बनाकर अपोलो अस्पताल बिलासपुर भेजा गया। बहरहाल राहुल साहू के सकुशल बाहर निकाल लिए जाने से सभी ने राहत की सांस ली है।

राहुल जो मानसिक तौर पर कुछ कमजोर भी है, उसके बोरवेल में गिरने के बाद प्रशासन और शासन के सामने कई तरह की चुनौतियां थी, मगर एक सुनियोजित रणनीति बनाई गई। इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी पूरी नजर रखी। सबसे पहले जिला प्रशासन की टीम कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला के नेतृत्व में तैनात हो गई। समय रहते ही ऑक्सीजन की व्यवस्था कर बच्चे तक पहुंचाई गई। कैमरा लगाकर बच्चे की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ उनके परिजनों के माध्यम से बोरवेल में फसे राहुल पर नजर रखने के लिए उनका मनोबल बढ़ाया जा रहा था। उसे जूस, केला और अन्य खाद्य सामग्रियां भी दी जा रही थी। विशेष कैमरे से पल-पल की निगरानी रखने के साथ ऑक्सीजन की सप्लाई भी की जा रही थी।

कुल मिलाकर 105 घंटे तक राहत और बचाव दल ने धैर्य से काम लिया, बच्चे तक पहुंचने के लिए समानांतर एक सुरंग बनाई गई, कई बार चट्टानें बाधा बनी मगर राहत और बचाव दल ने अपने कौषल का परिचय देते हुए हर चट्टान को काटा। आखिरकार बच्चे तक पहुंचने में कामयाबी मिली और अब बच्चा बिलासपुर के अस्पताल में इलाजरत है।

मुख्यमंत्री बघेल ने ट्वीट कर लिखा है, हमारा बच्चा बहुत बहादुर है, उसके साथ गढ्ढे में 104 घंटे तक एक सांप और मेंढक उसके साथी थे। आज पूरा छत्तीसगढ़ उत्सव मना रहा है, हम सब कामना करते हैं कि वह जल्द अस्पताल से पूरी तरह ठीक होकर लौटे। इस ऑपरेशन में शामिल सभी टीम को पुन: बधाई एवं धन्यवाद।


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