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 छत्तीसगढ़ सरकार ने रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण का गठन करने का निर्णय लिया

छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण का गठन करने का निर्णय लिया है। यह आवासीय और कारोबारी दोनों तरह की परियोजनाओं में पैसों के लेन-देन पर नजर रखेगा

 छत्तीसगढ़ सरकार ने रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण का गठन करने का निर्णय लिया
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रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण का गठन करने का निर्णय लिया है। यह आवासीय और कारोबारी दोनों तरह की परियोजनाओं में पैसों के लेन-देन पर नजर रखेगा।

राज्य मंत्रिमंडल ने इसके गठन को मंजूरी दे दी है। प्राधिकरण के गठन के बाद बिल्डर केवल वे ही प्रोजेक्ट बेच पाएंगे, जो पंजीकृत हैं। इसके अन्तर्गत 500 वर्गमीटर या आठ अपार्टमेंट तक की निर्माण परियोजनाओं को छोड़कर सभी निर्माण परियोजनाओं को प्राधिकरण में पंजीकृत कराना होगा।

बिल्डर की परियोजनाओं से संबंधित हर गतिविधि में पारदर्शिता रहेगी। नियामक प्राधिकरण बनने पर वेबसाइट के माध्यम से आवासीय प्रोजेक्ट से संबंधित सभी जरूरी और महत्वपूर्ण जानकारी खरीदार को मिल सकेगी।

रियल एस्टेट परियोजना में बदलाव से पहले दो-तिहाई खरीददारों की मंजूरी आवश्यक होगी। आवासीय के साथ-साथ व्यावसायिक प्रापर्टी पर भी यह नियम लागू होंगे।
प्राधिकरण द्वारा विवादों का निपटारा 60 दिनों के भीतर किया जाएगा।

बिल्डर द्वारा ग्राहकों से ली जाने वाली 70 प्रतिशत धनराशि को अलग बैंक खाते में रखना होगा और उसका उपयोग केवल निर्माण कार्य में करना होगा। बिल्डर को परियोजना संबंधी समस्त जानकारी जैसे-प्रोजेक्ट के ले-आउट की स्वीकृति, ठेकेदार का नाम, परियोजना की मियाद, भवन सौंपने की समय-सीमा आदि की सटीक जानकारी खरीददार को अनिवार्य रूप से देनी होगी।

पूर्व सूचित समय-सीमा में निर्माण कार्य पूरा नहीं करने पर बिल्डर द्वारा उपभोक्ता को ब्याज का भुगतान करना होगा। यह उसी दर पर होगा, जिस दर पर बिल्डर द्वारा भुगतान में हुई चूक के लिए उपभोक्ता से ब्याज वसूला जाता है।

नये नियमों के अनुसार बिल्डर अपनी सम्पत्ति को ’सुपर बिल्टअप एरिया’ के स्थान पर कार्पेट एरिया के आधार पर फ्लैट विक्रय कर सकेगा। खरीददारों के हाथ में फ्लैट आने के तीन महीने के भीतर रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन का गठन करना होगा, ताकि वे साझी सुविधाओं की देखभाल कर सकें।

रियल एस्टेट विनायमक प्राधिकरण के आदेश की अवहेलना करने पर बिल्डर के लिए तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान और रियल एस्टेट एजेंट और उपभोक्ता के लिए एक वर्ष की सजा का प्रावधान रखा गया है।


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