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छत्तीसगढ़ में पड़ोसी राज्यों से धान की आवक रोकना चुनौती

छत्तीसगढ़ में सरकारी धान खरीदी से पहले पड़ोसी राज्यों के व्यापारी यहां आकर धान खपाने की कोशिश में लगे हैं

छत्तीसगढ़ में पड़ोसी राज्यों से धान की आवक रोकना चुनौती
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रायपुर। छत्तीसगढ़ में सरकारी धान खरीदी से पहले पड़ोसी राज्यों के व्यापारी यहां आकर धान खपाने की कोशिश में लगे हैं। पड़ोसी राज्यों से धान की आवक को रोक पाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। अवैध धान परिवहन के अब तक 190 मामले दर्ज किए गए हैं और 19000 क्विंटल से ज्यादा धान जब्त किया गया है। धान खरीदी पर इस बीच सियासी घमासान भी शुरू हो गया है। राज्य की भूपेश सरकार जहां केंद्र सरकार पर सेंट्रल पूल में चावल खरीदने की अनुमति देने में हीला-हवाली का आरोप लगा रही है तो दूसरी ओर विपक्षी भाजपा भूपेश सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रही है।

आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में धान का अवैध परिवहन करते हुए पाए जाने पर 63 वाहनों सहित 19 हजार 33 क्विंटल धान जब्त किया गया है। अवैध धान परिवहन के 190 मामले दर्ज किए गए हैं। इन मामलों पर मंडी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पड़ोसी राज्यों से धान के अवैध परिवहन को रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं।

मुख्य सचिव आर.पी. मंडल ने राज्य के सभी कमिश्नरों और कलेक्टरों को प्रदेश के सीमावर्ती जिलों से आने वाले अवैध धान को रोकने के लिए चेकपोस्ट बनाकर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। अवैध धान परिवहन रोकने के लिए सीमावर्ती जिलों में चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है।

राज्य सरकार ने किसानों से ढाई हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी की योजना बनाई है। इस स्थिति में पड़ोसी राज्यों के कारोबारियों की नजर छत्तीसगढ़ पर है। पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में धान का समर्थन मूल्य 1850 रुपये है, वहीं छत्तीसगढ़ में 2500 रुपये है। इस स्थिति में कारोबारी छत्तीसगढ़ में ज्यादा से ज्यादा धान बेचकर मुनाफा कमाना चाह रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रमन सिंह ने भूपेश सरकार पर किसानों से वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि राज्य में 15 नवंबर से धान की खरीदी हो जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है। इसके चलते किसानों को धान संग्रहीत कर रखने में दिक्कत आ रही है। इसका लाभ बिचौलिए उठाने में लगे हैं और किसानों को कम दाम में धान बेचना पड़ रही है।

वहीं कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष नितिन शैलेंद्र त्रिवेदी का कहना है कि केंद्र में जब कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी तो राज्य की रमन सरकार ने धान पर बोनस की घोषणा की और तत्कालीन केंद्र सरकार ने उनकी मदद की, मगर यही केंद्र सरकार राज्य की वर्तमान सरकार की मदद नहीं कर रही है।

उन्होंने कहा कि जहां तक धान खरीदी में देरी का सवाल है तो खेतों में पानी रहा, नमी रहा, इस कारण देरी हो रही है। धान खरीदी 1 दिसंबर से शुरू होगी।


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