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छत्तीसगढ़ में चुनावी कदमताल तेज

छत्तीसगढ़ में चुनावी बिसात बिछाने लगी है और दोनों प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा अपनी रणनीति के मुताबिक चालें भी चलने लगे हैं। कुल मिलाकर दोनों दलों की तेज हुई सियासी कदमताल से राज्य का सियासी पारा चढ़ने लगा है।

छत्तीसगढ़ में चुनावी कदमताल तेज
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रायपुर, छत्तीसगढ़ में चुनावी बिसात बिछाने लगी है और दोनों प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा अपनी रणनीति के मुताबिक चालें भी चलने लगे हैं। कुल मिलाकर दोनों दलों की तेज हुई सियासी कदमताल से राज्य का सियासी पारा चढ़ने लगा है।

राज्य में लगभग डेढ़ दशक तक भाजपा सत्ता में रही और वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को बड़ी शिकस्त देते हुए सत्ता पर कब्जा जमाया। अगले साल वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों ही राजनीतिक दल गंभीर हैं क्योंकि कांग्रेस के सामने जहां सत्ता में बने रहने की चुनौती है तो वहीं भाजपा को सत्ता में वापसी की राह तलाशना है।

राज्य की विधानसभा की स्थिति पर गौर करें तो 90 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 71 विधायक हैं वहीं भाजपा के 14 इसके अलावा तीन स्थान पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और दो पर बहुजन समाज पार्टी के विधायक हैं। भाजपा की कोशिश है कि किसी तरह जमीनी स्थितियां बदली जाए। यही कारण है कि पार्टी ने बड़े बदलाव किए हैं। पार्टी में क्षेत्रीय संगठन महामंत्री के तौर पर अजय जामवाल की नियुक्ति की गई है। उन्हें छत्तीसगढ़ के साथ मध्य प्रदेश का भी जिम्मा दिया गया है, मगर खास बात यह है कि पार्टी ने जामवाल का मुख्यालय रायपुर बनाने का फैसला किया है।

इसी तरह पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष के चेहरे में भी बदलाव किया है। अब विष्णु देव साय के स्थान पर अरुण साव को अध्यक्ष बना दिया गया है, पार्टी की तैयारी कांग्रेस सरकार के खिलाफ जमीन पर उतर कर लड़ाई लड़ने की है। लिहाजा उसने एक तरफ जहां प्रदेश अध्यक्ष में बदलाव किया है वहीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ही बदल दिया है और अब यह जिम्मेदारी नारायण चंदेल को सौंपी गई है। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी धर्म लाल कौशिक के पास हुआ करती थी।

राज्य में भाजपा कांग्रेस के संगठन की बजाए सीधे तौर पर भूपेश बघेल सरकार को घेरने में लगी हुई है। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल का कहना है कि राज्य में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। सरकार आंकड़ों की बाजीगरी दिखाने में लगी है। रोजगार के फर्जी आंकड़े जुटाकर सरकार प्रदेश की जनता को भ्रमित करने की कोशिश में लगी है। यह ऐसी सरकार है जो वादा तोड़ने में माहिर है और यह भरोसे के लायक नहीं है।

दूसरी ओर कांग्रेस की भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार अपनी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने में लगी है। साथ ही मुख्यमंत्री भेंट मुलाकात अभियान के जरिए जनता के बीच पहुंच रहे हैं और जमीनी नब्ज को टटोलने की कोशिश में लगे हैं।

कांग्रेस पूरी तरह भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य में सक्रिय है और सभी को एकजुट रखना उसकी बड़ी कोशिश है। बघेल के निशाने पर केंद्र सरकार रहती है और यही कारण है कि उन्होंने कहा है कि झारखंड के विधायकों को छत्तीसगढ़ में रोका गया है इसलिए अब ईडी और आईटी के छापे राज्य में पड़ने वाले हैं। पहले भी ऐसा होता रहा है अब जल्दी एक बार फिर इसी तरह के छापे राज्य में पड़ने वाले हैं। भाजपा ऐसा इसलिए करती है क्योंकि उसका लोकतंत्र में विश्वास ही नहीं है।

राजनीतिक विश्लेषक रुद्र अवस्थी का मानना है कि कांग्रेस अपनी जमीनी तैयारी लगातार कर रही है। उसने कई योजनाएं ऐसी शुरू की है जो गरीबों के लिए लाभदायक तो रही हैं साथ में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बदला है, तो दूसरी ओर भाजपा के लिए राज्य में कांग्रेस से मुकाबला करना आसान नहीं है। इस बात को पार्टी भी जानती है इसीलिए उसने बड़े पैमाने पर बदलाव किए हैं। आने वाले समय में दोनों ही दलों के नेताओं के सियासी कौशल पर निर्भर है कि वे राज्य में किस तरह की रणनीति बनाकर आगे बढ़ते हैं।



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