छत्रपति शिवाजी टर्मिनस इमारत से छिन सकता है विश्व धरोहर का ताज
मुंबई करों की शान, वर्ष 1888 में आर्किटेक्ट फ्रेडरिक विलियम्स स्टीवंस व एक्सल हेग द्वारा बनाई गई ऐतिहासिक इमारत छत्रपति शिवाजी टर्मिनस यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर में शुमार है

- अनिल सागर
नई दिल्ली। मुंबई करों की शान, वर्ष 1888 में आर्किटेक्ट फ्रेडरिक विलियम्स स्टीवंस व एक्सल हेग द्वारा बनाई गई ऐतिहासिक इमारत छत्रपति शिवाजी टर्मिनस यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर में शुमार है लेकिन अब यदि रेलवे की नई योजना अमल में आई तो इसका यह गौरव छिन सकता है।
मुंबई की गौरवशाली इतिहास की साक्षी यह इमारत इससे पहले 26/11 आतंकी हमले में भी आतंकवादियो के निशाने पर थी लेकिन तब मुंबई पुलिस के जवानों ने इस पर जान न्योछावर कर इसकी रक्षा कीलेकिन अब रेल मंत्री पीयूष गोयल की इच्छा पूरी हुई तो इसे विश्व धरोहर के तमगे से नहीं बचाया जा सकेगा।
रेल मंत्रालय के सूत्रों की माने तो बीते दिनों रेल मंत्री पीयूष गोयल यहां निरीक्षण दौरे पर पहुंचे और उन्होंने इमारत जमकर प्रशंसा की व अतिथि पुस्तिका में इच्छा जाहिर कर दी कि इमारत में रेल संग्रहालय होना चाहिए।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक रेल मंत्री ने मौखिक आदेश भी दिए और इसके बाद हीमहाप्रबंधक ने प्रक्रिया शुरू कर दी। मामला अब रेल मंत्रालय में एक फाइल बना कर बढ़ा दिया गया है और रेलवे अधिकारियों की इस पर रायशुमारी ली जा रही है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि मुख्यालय को करीबन 60 करोड़ की लागत से समीप ही पी डिमेलो रोड पर भेज दिया जाए।
हेरिटेज मामले के जानकार एक अधिकारी मानते हैं कि इमारत को वर्ष 2004 में विश्व धरोहर की सूची में दर्ज किया गया था। इस इमारत में नीचे रेलवे स्टेशन है और ऊपर सेंट्रल रेलवे जोन का मुख्यालय है।
अधिकारी मानते हैं कि जिस स्वरूप में इसे दर्ज किया गया है यदि उस स्वरूप को बदलते हैं तो इसे दिया गया विश्व धरोहर का दर्जा छीनाजा सकता है। महज 16 लाख 14 हजार रूपए और 25 हजार अमेरिकी डॉलर में बनी यह इमारत देश की सबसे ज्यादा फोटो खीची जाने वाली इमारतों में दूसरे पायदान पर है।
सेंट्रल रेलवे के महाप्रबंधक डीके शर्मा ने कहा कि प्रस्ताव गया होगा, लेकिन इसका फैसला मंत्रालय को लेना है।
अधिकारियों के मुताबिक यदि इसके स्वरूप को बदलने के लिए मंजूरी के लिए भी संस्कृति मंत्रालय के माध्यम से यूनेस्को में अर्जी लगानी होगी और यदि उससे मंजूरी मिल जाती है तभी इसमे बदलाव सम्भव हो सकेगा।
देश में विश्व धरोहर के साथ छेड़छाड़ के एक मामले का उल्लेख करते हुए एक पुरातत्वविद बताते हैं कि कर्नाटक के हम्पी विलेज भी विश्व धरोहर की सूची में शामिल है और यहां एक पुल बनाने के प्रस्ताव को छेड़छाड़ माना गया और उसके बाद करीबन 12 वर्ष की यूनेस्को से लम्बी प्रक्रिया के बाद इस भरोसे पर दोबारा धरोहर के दर्जे को बहाल करवाया जा सका कि प्रस्तावित पुल के निर्माण को नहीं किया जाएगा।
रेल मंत्रालय की कवायद पर एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि अभी पेस्ताव पर अध्ययन कर रहे हैं। अंतिम फैसले से पहले सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा। हो सकता है कि इमारत की सिर्फ एक मंजिल पर ही संग्रहालय बनाया जाए।


