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उत्तराखंड में भी धूमधाम से मनाया गया छठ पर्व

उत्तराखंड के हरिद्वार में भी छठ पर्व की धूम देखने को मिली जहां  उदयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही महापर्व छठ संपन्न हुआ।

उत्तराखंड में भी धूमधाम से मनाया गया छठ पर्व
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हरिद्वार । उत्तराखंड के हरिद्वार में भी छठ पर्व की धूम देखने को मिली जहां उदयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही महापर्व छठ संपन्न हुआ।

छठ पूजा पर सूर्य को अर्घ्य देने के लिए बिहार और पूर्वांचल के लोग हरकी पौडी सहित अन्य गंगा तटों पर एकत्र हुए। जहाँ उन्होंने विधिविधान के साथ साक्षात देव सूर्य को अर्घ्य दिया और उनसे मनोकामनायें पूरी करने की प्रार्थना की।

ऐसी मान्यता है कि जो भी सूर्य भगवान की आराधना सच्चे मन से करता है उसकी सभी कामनायें पूरी होती हैं और वह धन धान्य से पूर्ण हो जाता है।

हरिद्वार में छठ पूजा के लिए लोगो में विशेष उत्साह है और पूजा के चलते हर की पोड़ी और गंगा घाटों पर अनुपम दृश्य देखने को मिला । सुबह चार बजे से ही हरिद्वार हरकी पौड़ी सहित अन्य गंगा घाटो पर श्रद्धालुओं के आने का दौर शुरू हो गया था। मंदिर परिसर में छठ पूजन के लिए हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।

पूजा स्थल को आकर्षक ढंग से सजाया गया था। व्रती महिलाएं अपने परिवार के साथ बांस के सूप और टोकरे में फल, सब्जी लिए घाट पर पहुंचे। छठ पूजा का वृत चतुर्थी को शुरू होकर सप्तमी को संपन्न होता है। इस दौरान सूर्य मेष राशिः में प्रवेश करते है और माना जाता है कि सूर्य भगवान् की आराधना करने से सभी गृह अनुकूल हो जाते हैं। यह व्रत शादी-शुदा महिलाओ के लिए भी होता है और सूर्य देव को अर्य्घ के साथ फल अदि भी अर्पित किये जाते हैं।

इस वृत को करने से सुख की प्राप्ति होती है और परिवार के साथ ही देश का भी कल्याण होता है। कहा जाता है की इसी व्रत को करने से नाग कन्या ,सुकन्या और द्रोपदी को सुख की प्राप्ति हुई थी। यह माना जाता है कि इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है और सुख सम्रद्धि मिलती है।
यह पर्व जननी का जनक के प्रति समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इस पर्व को महिला एवं पुरूष दोनों ही करते हैं। छठ व्रती सूर्य देव की उपासना के साथ 72 घंटे का व्रत करते हैं। हरकी पौड़ी समेत अन्य तटों और स्थानों पर छठ पूजा के लिए आये श्रद्धालुओं की उपस्थिति के चलते ऐसा लग रहा था जैसे हरिद्वार में पूरा वातावरण विहार और पूर्वांचल मय हो गया हो ।
छठ पर्व पूर्वांचल का ही नहीं बल्कि देश का प्रमुख उत्सव बन चूका है और इसे सर्व समाज के महापर्व के रूप में मान्यता मिल चुकी है । इस पर्व पर महिलाये और पुरुष सूर्य की आराधना के साथ छठ उत्सव मानते है और इस दौरान पूर्वांचल की झलक पूरे देश में देखने को मिलती है। छठ व्रत के बारे में कमलेश ने बताया कि 72 घंटे के व्रत में पहले दिन शरीर को शुद्ध किया जाता है और उसके बाद निर्जला व्रत रखा जाता है।

दुबई से छठ मनाने हरिद्वार आयी अदिति कहती हैं कि सबकी खुशियों की कामना के लिए उन्होंने वृत रखा है और इसे करने में उनको कोई कष्ट नहीं होता है। उन्होंने कहा कि उनको भारत आकर ज्यादा अच्छा लगता है क्योकि यहाँ पर उनका परिवार है।


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