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छग : भोरमदेव अभ्यारण्य में ट्रैप कैमरे में कैद हुए बाघ-बाघिन 

काफी अर्से बाद जिले के भोरमदेव अभ्यारण्य क्षेत्र में बाघ और बाघिन दिखाई दिए हैं। इनकी तस्वीरें वन विभाग की ओर से जंगल में लगाए गए ट्रैप कैमरे में कैद हुई है

छग : भोरमदेव अभ्यारण्य में ट्रैप कैमरे में कैद हुए बाघ-बाघिन 
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- चंद्र शेखर शर्मा

कवर्धा। काफी अर्से बाद जिले के भोरमदेव अभ्यारण्य क्षेत्र में बाघ और बाघिन दिखाई दिए हैं। इनकी तस्वीरें वन विभाग की ओर से जंगल में लगाए गए ट्रैप कैमरे में कैद हुई है। जिले में पूर्व में बाघ-बाघिन की हत्या हो चुकी है, जिससे चिंतित वन विभाग सुरक्षा को लेकर अलर्ट तो है, पर अपडाउन की संस्कृति अपना रहे वन कर्मियों के भरोसे कैसे होगी सुरक्षा चिंता का विषय है।

विगत दिनों वन विभाग के भोरमदेव अभयारण्य क्षेत्र के भोरमदेव क्षेत्र की तरफ से बने दुरदूरी झरने की ओर से जाने वाले रास्ते में करिया आमा चेक पोस्ट का निरीक्षण किया गया, तो चेक पोस्ट पर ताला लगा कर चौकीदार गायब था। वहां से रोजाना गुजरने वालों ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि यहां अक्सर ताला लगा रहता है साहब कभी कभार ही वन कर्मी दिखाई देते हैं।

इस संबंध में रेंजर ए.के. नायडू ने बैरियर पर ताले लगने और कर्मचारी के गायब होने पर तो कुछ नहीं कहा, पर नक्सलियों का भय दिखाकर बैरियर पार कर दुरदूरी झरने और जंगल में जाने से मना किया। वन विभाग की लापरवाह कार्यशैली और उनमें छाया नक्सलियों के खौफ से वन्य जीव कब तक सुरक्षित रहेंगे सोचनीय है।

विदित हो कि भोरमदेव अभयारण्य कान्हा नेशनल पार्क और अचानकमार अभयारण्य के बीच से विचरण क्षेत्र भी है और कान्हा से लगे होने के कारण वन्य पशु भोरमदेव अभ्यारण क्षेत्र आते-जाते रहते हंै। बाघ-बाघिन भी अक्सर दिखाई दे जाते हैं।

बाघ-बाघिन की उपस्थिति के चलते वनांचल क्षेत्र के निवासियों की दिनचर्या में भी परिवर्तन देखा जा रहा है। शाम होने से पहले ही अब चरवाहे अपने मवेशियों को लेकर घरों की ओर लौट रहे हैं।

कबीरधाम जिले के वनांचल क्षेत्रों में अनेक प्रकार के वन्यप्राणी विचरण करते नजर आ जाते हैं। सबसे पहले कबीरधाम जिले के क्षेत्र तरेगांव जंगल में वर्ष 2001 में पहला बाघ देखा गया था, वहीं एक बार फिर वनांचल क्षेत्र में बाघ व बाघिन की दहाड़ सुनने को मिल रही है।

वन विभाग की ओर से लगाए गए ट्रैप कैमरे में उनकी तस्वीरें कैद हुई हैं। वन विभाग की ओर से ज्यादातर ऐसे स्थानों का चयन किया जाता है जहां वन्य प्राणियों की आवागमन होने का अंदेशा रहता है, उस स्थान पर ट्रेप कैमरा लगाकर रखा गया था जहां ट्रेप कैमरे में बाघ और बाघिन की तस्वीरें कैद हुई है। जंगल के राजा का शाही अंदाज कुछ अलग ही नजर आ रहा है। इन तस्वीरों को देखकर ऐसा लगता है कि बाघ-बाघिन के लिए वनांचल का यह क्षेत्र अनुकूल है। बताया जाता है कि ज्यादातर इस मौसम में इनका आवागमन बना रहता है।

वातावरण अनुकूल होने के कारण यहां मैटिंग के लिए भी पहुंचते हैं, जो लगभग 1 दिन में लगभग 80 किलोमीटर का सफर आसानी से तय कर लेते हैं। भोरमदेव अभ्यारण क्षेत्र में इनकी उपस्थिति जहां विभाग के लिए सुखद अहसास है, वहीं इनकी सुरक्षा की भी जिम्मेदारी अब विभाग की बढ़ गई है।


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