छग : स्कूलों में गुजराती सिखाने पर राजनितिक रार शुरू
छत्तीसगढ़ के स्कूलों में गुजराती भाषा सिखाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' कार्यक्रम के तहत गुजरात से छत्तीसगढ़ प्रदेश का एमओयू हुआ है

रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्कूलों में गुजराती भाषा सिखाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' कार्यक्रम के तहत गुजरात से छत्तीसगढ़ प्रदेश का एमओयू हुआ है, जिसके तहत राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के छात्र-छात्राओं को गुजराती भाषा सिखाई जा रही है। इसको लेकर सूबे में राजनीति गरमा गई है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। रायगढ़ के डीएमसी आर.के. देवांगन ने बताया कि इसके लिए राज्य शैक्षणिक अनुसंधान विभाग ने एक पत्र भी जारी किया है, जिसमें बच्चों को गुजराती वर्णमाला का ज्ञान और बोलचाल सिखाया जाएगा।
छत्तीसगढ़ में गुजराती भाषा को लेकर की गई पहल के बाद प्रदेश में राजनीति शुरू हो गई है। प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस नेता एक बार फिर आमने-सामने हो गए हैं। प्रदेश कांग्रेस ने इस आदेश और पहल को 'चापलूसी' करार देते हुए 'छत्तीसगढ़ी महतारी संस्कृति' का अपमान बताया है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आर.पी. सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी बोली का चलन भले ही ना हो, लेकिन गुजराती भाषा सिखानी जरूरी है। किसलिए? सिर्फ इसलिए कि वह प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष की भाषा है। सिर्फ यह सुनने के लिए कि 'मोगैम्बो खुश हुआ'।
सूबे के शिक्षा मंत्री केदार कश्यप ने हालांकि कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर इस तरह के आदेश हुए हैं तो गलत है। बाद में इस आदेश को सही ठहराते हुए कहा, "केंद्र सरकार का प्रयास है कि देश के अन्य राज्यों के बारे में बच्चों को जानना और पढ़ना आवश्यक है।"
दो साल पहले छत्तीसगढ़ में उड़िया भाषा पढ़ाने के लिए आदेश जारी किए गए थे, जिस पर जमकर बवाल हुआ था। अब एक बार फिर प्रदेश में गुजराती भाषा के ज्ञान को लेकर बवाल शुरू हो गया है।
किसी भाषा को सीखने और सिखाने में किसी को कोई गुरेज नहीं होना चाहिए, लेकिन छत्तीसगढ़ी बोली का विकास और विस्तार कैसे हो, न तो किसी अधिकारी को और ना ही जन प्रतिनिधियों को इसकी चिंता है। इसको लेकर सूबे के शिक्षाविदों में भी जबरदस्त चर्चा है।


