छग : झीरम हमले की जांच के लिए भूपेश ने रमन को लिखा पत्र
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने मंगलवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखा है। पत्र में झीरम नक्सली हमले की जांच की मांग की है

रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने मंगलवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखा है। पत्र में झीरम नक्सली हमले की जांच की मांग की है। उन्होंने सरकार की घोषणा के बाद भी अब तक सीबीआई जांच नहीं कराए जाने पर सवाल उठाया है।
झीरम घाटी में 25 मई, 2013 को कांग्रेस नेताओं के काफिले पर किए गए हमले में वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल, तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल सहित 31 कांग्रेस नेताओंे की जान चली गई थी।
भूपेश ने पत्र में कहा है, "मैं यह पत्र झीरम घाटी की घटना के संबंध में सरकार की घोषणा के बाद भी अब तक आपराधिक षड्यंत्र की सीबीआई जांच नहीं किए जाने और उस पर जानबूझकर फैलाई जा रही भ्रांतियों को दूर करने के संबंध में लिख रहा हूं।"
भूपेश ने पत्र में कहा है कि घटना के बाद आपराधिक जांच का जिम्मा एनआईए को सौंपा गया था, वहीं सुरक्षा में बरती गई कमी आदि की जांच के छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के न्यायाधीश प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया था। स्पष्ट रूप से आपराधिक षड्यंत्र की जांच न्यायिक जांच आयोग के टर्म ऑफ रेफरेंस में नहीं है अत: वह आपराधिक षड्यंत्र की जांच नहीं कर सकता।
उन्होंने लिखा है कि विगत दो वर्षों में कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। राज्य पुलिस ने यह दावा किया है कि झीरम घटना में शामिल कई नक्सलियों ने भी समर्पण किया है। लेकिन उनसे कोई पूछताछ या जांच एनआईए ने नहीं की है, जबकि छत्तीसगढ़ पुलिस ने उनके बयान रिकार्ड किए हैं।
विगत दो-तीन वर्षों में झीरम घटना के संबंध में कुछ लीड्स (सूचना) कांग्रेस पार्टी को भी प्राप्त हुई है, जिस पर आगे अन्वेषण की आवश्यकता है, संभव है उससे षड्यंत्र की सच्चाई सामने आ सकेगी।
यह महत्वपूर्ण है कि 2014 मई के पूर्व एनआईए, नक्सली संगठन के सर्वोच्च नेताओं गणपति और रमन्ना को भी मामले में प्रमुख षडयंत्रकारी मान कर जांच कर रही थी, क्योंकि इस बात की संभावना बहुत क्षीण है कि स्थानीय स्तर के नक्सलियों की योजना के आधार पर इस घटना को अंजाम दिया गया हो।
हालांकि यह अत्यंत गंभीर बात है कि, सितंबर 2014 एनआईए की ओर से जो चार्जशीट दाखिल की गई, उसमें और बाद में दाखिल पूरक चालान में नक्सलियों के सर्वोच्च नेताओं गणपति और रमन्ना आदि को मुजरिम नहीं बनाया गया और पूरी घटना महज स्थानीय स्तर पर प्लान कर घटित होना दर्शाया है।
उन्होंने कहा है कि, सीबीआई की उच्चस्तरीय टीम की ओर से जांच के लिए रमन सिंह आवश्यक कदम उठाएं, जिसकी निगरानी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान जज से कराई जाए।


