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एसबीआई में बैंकों के विलय से पैदा हालात पर है नजर : एआईबीईए

चेन्नई ! आल इंडिया बैंक एंप्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) ने कहा है कि स्टेट बैंक आफ इंडिया (एसबीआई) में इसके पांच सहयोगी बैंकों के विलय का असर न केवल एसबीआई की वित्तीय स्थिति पर पड़ेगा

एसबीआई में बैंकों के विलय से पैदा हालात पर है नजर : एआईबीईए
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चेन्नई ! आल इंडिया बैंक एंप्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) ने कहा है कि स्टेट बैंक आफ इंडिया (एसबीआई) में इसके पांच सहयोगी बैंकों के विलय का असर न केवल एसबीआई की वित्तीय स्थिति पर पड़ेगा बल्कि इसे सकारात्मक व नकारात्मक असर स्टाफ यूनियनों पर भी पड़ेंगे।

एआईबीईए के करीब चार लाख सदस्य हैं। यह बैंक कर्मियों की सबसे बड़ी यूनियन है।

स्टेट बैंक आफ इंडिया में इसके पांच सहयोगी बैंकों स्टेट बैंक आफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक आफ मैसूर, स्टेट बैंक आफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक आफ पटियाला और स्टेट बैंक आफ हैदराबाद का विलय होने जा रहा है। इन पांचों बैंकों का समस्त व्यवसाय पहली अप्रैल 2017 से एसबीआई में समाहित हो जाएगा।

एआईबीईए के महासचिव सी.एच. वेंकटाचलम ने आईएएनएस से कहा, "इन पांचों बैंकों में हमारी इकाइयां और सदस्य अब आल इंडिया स्टेट बैंक आफ इंडिया एंप्लाइज एसोसिएशन (एआईएसबीआईईए) से संबद्ध होंगे। विलय के बाद एसबीआई में हमारी सदस्य संख्या लगभग 50 हजार की होगी।"

वेंकटाचलम ने कहा कि एआईएसबीआईईए की शीघ्र ही बैठक होगी जिसमें आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। इसमें विलय के बाद अपने सदस्यों के हितों की रक्षा पर उठाए जाने वाले कदमों पर विचार किया जाएगा।

वेंकटाचलम ने कहा, "सबसे पहले हमें देखना होगा कि पांचों सहयोगी बैंकों के हमारे सदस्य बिना किसी दिक्कत के एसबीआई में लिए जाएं और नियुक्तियों के संदर्भ में इनके साथ कोई नाइंसाफी न हो।"

उन्होंने इस बात को माना कि विलय का एआईबीईए पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ेगा क्योंकि यह एसबीआई की दूसरी सबसे बड़ी यूनियन होगी और इसी वजह से कर्मियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए बोर्ड में इसका प्रतिनिधि नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि पांचों सहयोगी बैंकों में एआईबीईए की हैसियत सदस्य संख्या के मामले में बहुत ऊपर थी। कोई अन्य यूनियन इसके मुकाबले में नहीं थी। इसी वजह से पांचों बैंकों के बोर्ड में इसके प्रतिनिधि कर्मचारियों के प्रतिनिधि के तौर पर होते थे।

वेंकटाचलम ने कहा कि इस नकारात्मक प्रभाव के बावजूद यह नहीं भूलना चाहिए कि एसबीआई में हमारे 50 हजार के लगभग सदस्य होंगे और यह एक ऐसी ताकत है जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकेगी।

उन्होंने कहा, "हम प्रमुख यूनियन को अपने लिए खतरा या प्रतिद्वंद्वी के रूप में नहीं देखते।"


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