दिल्ली के 60 लाख कामगारों के साथ धोखा : विजेन्द्र गुप्ता
न्यूनतम वेतन बढ़ाने के लिए जारी की गई अधिसूचनाएं

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, विजेन्द्र गुप्ता ने दिल्ली सरकार द्वारा वर्ष 2016 में न्यूनतम वेतन निर्धारित करने के लिए बनाई गई समिति तथा मार्च 2017 में इस समिति की संस्तुति के आधार पर न्यूनतम वेतन बढ़ाने के लिए जारी की गई अधिसूचनाओं को दिल्ली के 60 लाख कामगारों के साथ धोखा करार दिया है।
उन्होंने कहा कि इनकर्मचारियों को इस अधिसूचना के आधार पर वेतन मिल चुका हो अथवा न मिला हो। यदि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कानून तथा न्याय के सिद्धांतों का पालन करते हुए फैसला लिया होता तो न्यायालय द्वारा इसे रद्द करने की नौबत नहीं आती।
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा दिल्ली की सरकार ने जानबूझ कर न्यूनतम वेतन निर्धारण करने के मामले में न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 की अलग अलग धाराओं का उल्लंघन किया। इसलिए दिल्ली उच्च न्यायालय ने न्यूनतम वेतन के मामले में उनकी सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन सलाहकार समिति बनाने तथा न्यूनतम वेतन बढ़ाने से सम्बंधित दोनों ही अधिसूचनाओं को खारिज कर दिया है क्योंकि न तो इसमें कानून का पालन किया गया और न ही प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत को अपनाया गया।
इस सम्बन्ध में सम्बंधित पक्षों की राय भी नहीं ली गई जिसे दिल्ली उच्च न्यायलय ने संविधान का उल्लंघन मानते हुए अवैध करार दिया।
उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा जल्दबाजी में अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए जानबूझ कर लिए गए अधिकतर फैसलों को न्यायालयों द्वारा नकार दिया गया है। क्योंकि कानून का पालन न करना आम आदमी पार्टी के संयोजक तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की आदत है।


