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कांकेर में धर्मांतरण विवाद पर प्रशासन ने संभाला मोर्चा

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले स्थित आमाबेड़ा क्षेत्र के बड़े तेवड़ा में धर्मांतरण को लेकर मचे बवाल के बीच शुक्रवार को शांति नजर आई

कांकेर में धर्मांतरण विवाद पर प्रशासन ने संभाला मोर्चा
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शव दफनाने को लेकर तीन दिन तक तनाव, अब हालात शांत

  • चर्चों में आगजनी और तोड़फोड़, पुलिस पर पथराव में 20 जवान घायल
  • फ्लैग मार्च और भारी पुलिस बल तैनात, शांति बनाए रखने की अपील

कांकेर। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले स्थित आमाबेड़ा क्षेत्र के बड़े तेवड़ा में धर्मांतरण को लेकर मचे बवाल के बीच शुक्रवार को शांति नजर आई। बीते तीन दिनों से धर्मांतरित व्यक्ति के शव के गांव में दफन को लेकर विवाद भड़का हुआ था। दो पक्षों में मारपीट के बाद इलाके में अशांति फैल गई थी, लेकिन हालात अब बदल गए हैं। इलाके में शांति नजर आ रही है। पुलिस ने फ्लैग मार्च निकालकर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। साथ ही, बड़ी संख्या में पुलिस जवानों की तैनाती कर दी गई है।

बता दें कि गुरुवार को विवाद और बढ़ गया था। जहां एक ओर आदिवासी समाज के लोग रास्तों को रोककर बाहरी व्यक्तियों को आने-जाने नहीं दे रहे थे, वहीं दूसरी ओर आमाबेड़ा और बड़े तेवड़ा गांव में आक्रोशित लोग लाठी-डंडों से लैस होकर शव को बाहर निकालने की मांग पर अड़े हुए थे। प्रशासन के शव निकालने के बाद भी मामला शांत नहीं हुआ। गुस्साई भीड़ ने सबसे पहले बड़े तेवड़ा गांव में बनाए गए चर्च को आग के हवाले कर दिया था, जिसके बाद आमाबेड़ा में स्थित दो चर्चों में तोड़फोड़ की गई।

इस दौरान पुलिस ने रोका तो भीड़ ने पुलिस टीम पर पथराव कर दिया। साथ ही लोग लाठी-डंडों से पुलिसकर्मियों पर हमला करने लगे। इस दौरान पुलिस ने भीड़ को खदेड़ने के लिए बल का प्रयोग किया। इस दौरान एडिशनल एसपी समेत 20 पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे।

घटनाक्रम पर नजर डालें तो 14 दिसंबर को बड़ेतेवड़ा सरपंच रजमन सलाम के पिता की मौत हुई। 15 दिसंबर को परिजनों ने शव अपने खेत में दफना दिया।

16 दिसंबर को लोगों को जानकारी मिलने के बाद आक्रोश बढ़ गया। मंगलवार को बड़ी संख्या में आसपास के लोग जुटे और बड़े तेवड़ा में तनाव की स्थिति बन गई। स्थिति देख पुलिस फोर्स तैनात की गई।

भीड़ मठ में तोड़फोड़ करने लगी। वहां से 150 मीटर की दूरी पर बैठे सरपंच व उनके साथी इस घटना को देखते रहे। बताया जा रहा है कि भीड़ यहां से उनकी ओर बढ़ी। दोनों पक्षों में झड़प होने लगी।

17 दिसंबर को कब्र से शव निकालने की बात पर दो पक्षों में विवाद मारपीट और हिंसा में बदल गई। इस दौरान काफी ग्रामीण घायल हुए।

आदिवासी समाज ने 18 दिसंबर को आमाबेड़ा जाने वाले सभी रास्तों को बंद कर दिया, बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगाई। दोपहर में प्रशासन ने शव को बाहर निकाला, मामला शाम तक आगजनी और तोड़फोड़ में बदल गया, और भीड़ को खदेड़ने के लिए बल का प्रयोग करना पड़ा।

अब पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया है। शांति-व्यवस्था बनाने के लिए पूरे इलाके के चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान तैनात हैं। पुलिस के अधिकारी सहित प्रशासनिक अधिकारी अभी भी इलाके में मौजूद होकर नजर बनाए हुए हैं। इलाके में लोगों की एक भी भीड़ नजर नहीं आ रही है।


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