छत्तीसगढ़ सरकार ने जमीनों की सरकारी दरों में की वृद्धि, कांग्रेस बोली-"सरकार ने जमीन खरीदना आम जनता के लिए असंभव बना दिया "
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जमीनों की सरकारी गाइडलाइन दरों में भारी बढ़ोतरी किए जाने को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। कांग्रेस ने कहा, "सरकार ने जमीन खरीदना आम जनता के लिए असंभव बना दिया है"

साय सरकार ने सरकारी ज़मीन के बढ़ाए दाम, भड़की कांग्रेस, कहा-आम जनता के लिए ज़मीन खरीदना हुआ असंभव
राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जमीनों की सरकारी गाइडलाइन दरों में भारी बढ़ोतरी किए जाने को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। कांग्रेस ने कहा, "सरकार ने जमीन खरीदना आम जनता के लिए असंभव बना दिया है।"
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कमलजीत सिंह पिंटू ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की साय सरकार "आर्थिक रूप से कमजोर" हो चुकी है और अपने "कुप्रबंधन" को छिपाने के लिए जनता पर बोझ डाल रही है।
पिंटू ने आरोप लगाया कि सरकार ने जमीनों की सरकारी दरों में 10 से 100 प्रतिशत तक वृद्धि कर दी है, जिससे स्टांप ड्यूटी में लाखों रुपए की बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने कहा कि देश में गाइडलाइन दर सामान्यतः 10–15 प्रतिशत तक ही बढ़ाई जाती है लेकिन प्रदेश सरकार ने अचानक कई गुना बढ़ाकर आम जनता को संकट में डाल दिया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार पहले ही कांग्रेस शासनकाल में लागू 30 प्रतिशत छूट को समाप्त कर चुकी है और अब पांच डिसमिल से कम भूमि की रजिस्ट्री पर भी रोक लगा दी है। इससे छोटे भूखंड खरीदने–बेचने वालों को भारी परेशानी हो रही है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि नए नियमों के तहत निवेश क्षेत्र में कृषि भूमि के मूल्यांकन का तरीका बदल दिया गया है। यदि कोई किसान एक एकड़ जमीन बेचना चाहता है, तो शुरुआती 15 हजार वर्गफुट पर वर्गफुट के हिसाब से और उसके बाद की जमीन पर हेक्टेयर दर से स्टांप ड्यूटी देनी होगी। इससे कृषि भूमि खरीदना बेहद महंगा हो गया है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि— 30 लाख की जमीन पर 22 लाख तक स्टांप ड्यूटी लग रही है। कई स्थानों पर 1000 वर्गफुट की जमीन, जिसकी बाज़ार कीमत छह लाख है, उसके लिए चार लाख 40 हजार तक रजिस्ट्री शुल्क देना पड़ रहा है। कुछ क्षेत्रों में जमीन की कीमत और रजिस्ट्री शुल्क लगभग समान हो गए हैं।
पिंटू ने कहा कि इन निर्णयों ने गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों की कमर तोड़ दी है। कर्ज लेकर घर बनाने वालों को अब जमीन के साथ-साथ रजिस्ट्री शुल्क के लिए भी कर्ज लेना पड़ेगा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि पांच डिसमिल से कम भूमि की रजिस्ट्री बंद होने से छोटे भूखंड बेचने–खरीदने वालों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। वहीं, स्टांप ड्यूटी में तेज वृद्धि से किसानों की जमीनों की बिक्री प्रभावित हो रही है, जिससे कई जरूरतमंद किसान अपनी भूमि बेच नहीं पा रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के रियल एस्टेट सेक्टर की कमर टूट गई है और यह कदम "आम उपभोक्ताओं और किसानों की जेब काटने जैसा" है।


