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धान खरीदी में अव्यवस्था, कांग्रेस का सरकार पर सीधा हमला

छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने धान खरीदी व्यवस्था को लेकर प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाये हैं और उन्होंने कहा कि कि खरीदी शुरू हुए 20 दिन बीत चुके हैं

धान खरीदी में अव्यवस्था, कांग्रेस का सरकार पर सीधा हमला
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किसानों को टोकन नहीं, पंजीयन में गड़बड़ी से हाहाकार

  • सीमावर्ती राज्यों से धान खपाने का आरोप, छोटे किसान सबसे ज्यादा प्रभावित
  • 3100 रुपये प्रति क्विंटल भुगतान पर सवाल, कांग्रेस ने सरकार को घेरा
  • 21 क्विंटल प्रति एकड़ खरीदी बंद, किसानों का भरोसा डगमगाया

रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने धान खरीदी व्यवस्था को लेकर प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाये हैं और उन्होंने कहा कि कि खरीदी शुरू हुए 20 दिन बीत चुके हैं, लेकिन सोसायटियों में अव्यवस्था जस की तस है।

श्री बैज ने कहा कि किसानों को टोकन नहीं मिल पा रहा, तौल केंद्रों में गड़बड़ी जारी है और पंजीयन की समस्या से अब भी लाखों किसान जूझ रहे हैं। बैज ने दावा किया कि करीब पांच लाख किसान पंजीयन के लिए सोसायटियों से लेकर तहसीलदार कार्यालय तक भटकने को मजबूर हैं, जबकि सरकार पूरी तरह बेफिक्र बनी हुई है।

प्रदेश कांग्रेस कार्यालय की ओर से जारी विज्ञप्ति में श्री बैज ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों का धान खरीदने के बजाय सीमावर्ती राज्यों से सत्तारूढ़ दल के नेताओं के संरक्षण में बेतहाशा धान लाया जा रहा है और सोसायटियों में खपाया भी जा रहा है। इससे मंझोले और छोटे किसान सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं, जिन्हें रोजाना टोकन के लिए चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अब तक धान खरीदी की स्थिर और सुचारू व्यवस्था नहीं बना पाई है, जिससे किसानों का भरोसा कमजोर हो रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के पूरे धान की खरीदी नहीं करना चाहती, इसलिए एनआईसी द्वारा सोसायटियों के प्रतिदिन के लक्ष्य को कम कर दिया गया है, जिससे खरीदी क्षमता घट गई है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान नहीं कर रही। भाजपा ने वादा किया था कि धान बेचने के 24 घंटों के भीतर ग्राम पंचायत स्तर पर काउंटर बनाकर किसानों को एकमुश्त भुगतान किया जाएगा, लेकिन किसी भी पंचायत में ऐसी व्यवस्था नहीं दिखाई दे रही है।

श्री बैज ने दावा किया कि सरकार ने अघोषित रूप से 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी बंद कर दी है और वर्तमान में केवल 15 से 19 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से खरीदी की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियाँ किसानों को राहत देने के बजाय उन्हें और अधिक परेशान कर रही हैं।


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