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चंद्रशेखर 'रावण' की जीत बसपा के लिए अच्छा संदेश नहीं !

लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की जिस सीट पर सबसे ज्यादा लोगों की निगाहें टिकी हुई थी

चंद्रशेखर रावण की जीत बसपा के लिए अच्छा संदेश नहीं !
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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की जिस सीट पर सबसे ज्यादा लोगों की निगाहें टिकी हुई थी, वह नगीना लोकसभा सीट थी। इस सीट पर भाजपा के ओम कुमार का सीधा मुकाबला आजाद समाज पार्टी (कांशी राम) के उम्मीदवार चंद्रशेखर 'रावण' से था।

वैसे आपको बता दें कि यह सीट इंडी अलायंस के सहयोगी दल समाजवादी पार्टी के हिस्से में आई थी और सपा ने इस पर अपनी पार्टी से मनोज कुमार को उम्मीदवार बनाया था। वहीं, इस सीट पर बसपा ने भी सुरेंद्र पाल सिंह को रावण से मुकाबले के लिए उतारा था।

इसी सीट पर जोगेंद्र और संजीव कुमार दो स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर मैदान में थे। यहां इन दोनों स्वतंत्र उम्मीदवार को नोटा से भी कम वोट हासिल हुए। जबकि, मायावती की पार्टी बसपा का उम्मीदवार चौथे और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे।

चंद्रशेखर रावण ने भाजपा के ओम कुमार को कड़ी टक्कर देते हुए इस सीट पर 1,51,473 से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है।

आपको बता दें कि इस सीट को लेकर सबसे दिलचस्प बात यह रही है कि इस सीट पर चंद्रशेखर रावण ने ना तो विपक्ष के इंडी गठबंधन के साथ लड़ना स्वीकार किया और ना ही बसपा के साथ वह मैदान में उतरने के लिए तैयार हुए।

दरअसल, जिस कांशीराम के नाम पर मायावती की पूरी राजनीतिक विरासत टिकी हुई है। चंद्रशेखर रावण ने उन्हीं कांशीराम को अपना आदर्श बनाया और अपनी पार्टी का नाम आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) रखा। वह मायावती के दलित वोट बैंक, जिस पर वह यूपी में अपना अधिकार रखने का दावा करती थीं, उसी में सेंध लगा दी।

इस सीट को आकाश आनंद के बयान ने हॉट सीट बना दिया था। जब उन्होंने कहा था कि वह हमारे लोगों को यहां उतारकर लड़ाई लड़ने की बात करते हैं। लेकिन, अपना मुकद्दर बनाने के बाद लोगों को छोड़कर चले जाते हैं।

इसके बाद अखिलेश यादव ने इस लोकसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान इशारों में चंद्रशेखर रावण पर निशाना साधते हुए उन पर इंडिया गठबंधन के नेताओं को लुभाने का आरोप लगाकर मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया था।

आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के उम्मीदवार चंद्रशेखर रावण ने नगीना सीट पर जितनी बड़ी जीत दर्ज की है उस वजह से परेशानी की घंटी मायावती के लिए बज उठी है। यूपी में दलित वोट बैंक पर अपना अधिकार जमाए रखने वाली बसपा को अब समझ में आ रहा है कि यह वोट बैंक धीरे-धीरे अब किधर खिसक रहा है।


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