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गरीबों को उनकी आजीविका के अधिकार से वंचित कर रही सरकार : हरपाल चीमा

पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) ने राज्य के 10 लाख से अधिक मनरेगा मजदूर परिवारों की आवाज और मांगों को उठाने के लिए एक अभियान शुरू किया है

गरीबों को उनकी आजीविका के अधिकार से वंचित कर रही सरकार : हरपाल चीमा
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चंडीगढ़। पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) ने राज्य के 10 लाख से अधिक मनरेगा मजदूर परिवारों की आवाज और मांगों को उठाने के लिए एक अभियान शुरू किया है।

'आप' के विधायक मनरेगा मजदूरों द्वारा लिखे गए पत्र लेकर विधानसभा के विशेष सत्र में पहुंचे। इन पत्रों में उन मेहनती परिवारों के दर्द और संघर्षों का वर्णन है जो महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत काम करके अपना जीवन यापन करते हैं।

मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने इन पत्रों को केवल विधानसभा में प्रस्तुत करने तक सीमित नहीं रखा है, बल्कि इन्हें सीधे प्रधानमंत्री को भेजने का भी संकल्प लिया है।

इसका उद्देश्य केंद्र सरकार को मजदूरों की वास्तविक स्थिति से अवगत कराना और उनकी समस्याओं के तत्काल समाधान की मांग करना है।

पंजाब में मनरेगा के मजदूर कई गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या मजदूरी के भुगतान में देरी है, जिससे गरीब परिवारों की आजीविका बुरी तरह प्रभावित होती है।

इसके अलावा, कई मजदूरों को समय पर काम नहीं मिलता, जिससे वे बेरोजगारी का सामना करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। राज्य सरकार का आरोप है कि केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा निधि को समय पर जारी न करने के कारण योजना का कार्यान्वयन कमजोर हो जाता है और मजदूरों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।

वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने मंगलवार को सदन में बोलते हुए केंद्र सरकार पर हमला किया और कहा कि केंद्र सरकार व्यवस्थित रूप से मनरेगा योजना को खत्म कर रही है और गरीबों को उनकी आजीविका के अधिकार से वंचित कर रही है।

मनरेगा योजना में हाल ही में किए गए बदलावों और इसका नाम बदलकर 'विकसित भारत-जी राम जी' करने के खिलाफ एक प्रस्ताव के समर्थन में बोलते हुए चीमा ने इस कदम को हाशिए पर पड़े लोगों के पेट पर हमला बताया।

इस दौरान उन्होंने चरणजीत कौर नाम की एक महिला मजदूर का मार्मिक पत्र पढ़ा, जिसमें हजारों ग्रामीण मजदूरों की आशंकाओं को उजागर किया गया था। उनके पत्र में इस बात की चिंता व्यक्त की गई थी कि नियमों में बदलाव और केंद्रीकृत ग्राम सूचियों के कारण बच्चे शिक्षा से और बुजुर्ग दवाइयों से वंचित हो जाएंगे।


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