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23 अक्टूबर को पंजाब में बस कर्मचारियों का चक्का जाम, निजीकरण के खिलाफ विरोध

पंजाब पीआरटीसी और पनबस कर्मचारियों ने 23 अक्टूबर को पूरे पंजाब में चक्का जाम करने का ऐलान किया है। उन्होंने राज्य सरकार पर लापरवाही करने का आरोप लगाया है

23 अक्टूबर को पंजाब में बस कर्मचारियों का चक्का जाम, निजीकरण के खिलाफ विरोध
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पीआरटीसी और पनबस यूनियन का ऐलान: निजीकरण पर सरकार को चेतावनी

  • सरकारी वादों से नाराज़ बस कर्मचारी करेंगे चक्का जाम
  • निजीकरण के विरोध में सड़कों पर उतरेंगे पंजाब के बस कर्मचारी
  • वेतन में देरी और निजीकरण पर भड़के कर्मचारी, सरकार को दी हड़ताल की चेतावनी

चंडीगढ़। पंजाब पीआरटीसी और पनबस कर्मचारियों ने 23 अक्टूबर को पूरे पंजाब में चक्का जाम करने का ऐलान किया है। उन्होंने राज्य सरकार पर लापरवाही करने का आरोप लगाया है।

पीआरटीसी और पीयूएन बस यूनियन के अध्यक्ष रेशम सिंह गिल ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार निजीकरण बंद करने का वादा करके सत्ता में आई थी, लेकिन अब कॉर्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी कर्मचारियों के हितों को नजरअंदाज कर रही है। इस वजह से उनको परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि 23 अक्टूबर को सरकार पीआरटीसी और पनबस के निजीकरण के लिए टेंडर खोल रही है, जिसका हम विरोध करते हैं, क्योंकि अगर वह टेंडर खुल गया तो प्राइवेट बस वाला 5 साल में पांच बसों के पैसे भी ले जाएगा और अपनी बस भी ले जाएगा। इसके चलते सरकार को घाटा होगा। सरकार को चाहिए कि वह अपनी बसों के लिए कुछ करे।

रेशम सिंह गिल ने कहा कि अगर सरकार ने टेंडर खोला तो हम हड़ताल करेंगे। उसके अलावा, तरनतारन चुनाव में जाकर सरकार के खिलाफ प्रचार करेंगे। इस सरकार को लाने में हम लोगों का काफी रोल रहा है। अब हम सरकार को बताएंगे कि हम लोग जो आपको लाने में योगदान दे सकते हैं, अब सत्ता से बाहर भी कर सकते हैं।

कर्मचारियों ने अपनी सैलरी के भुगतान में देरी पर भी रोष व्यक्त किया। उनका कहना है कि उन्हें दीपावली जैसे मौके पर भी बस अड्डा बंद करके सैलरी लेनी पड़ी, और 1 तारीख को मिलने वाली सैलरी 20-25 तारीख को मिलती है। ऐसे में निजीकरण से उनकी आर्थिक स्थिति और खराब होगी। कर्मचारियों ने सरकार से निजीकरण का फैसला तुरंत वापस लेने की मांग की है।

रेशम सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार हम लोगों को परेशान कर रही है। चुनाव के समय इन्होंने जितने भी वादे किए थे, वे पूरे नहीं किए। अगर पंजाब सरकार हमारी मांग नहीं मानती है तो तरनतारन चुनाव में इनको काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है।


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