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चंडीगढ़ विश्वविद्यालय हुआ बंद लेकिन बढ़ रहा है पोर्न वीडियो का बाजार

चंडीगढ़ विश्वविद्यालय का मामला भारत में गैर-पेशेवर तरीके से बनने वाली पोर्नोग्राफी के बाजार के प्रसार की तरफ इशारा है.

चंडीगढ़ विश्वविद्यालय हुआ बंद लेकिन बढ़ रहा है पोर्न वीडियो का बाजार
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चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के हॉस्टल में लड़कियों के आपत्तिजनक वीडियो बनाने और इंटरनेट पर डाले जाने के आरोपों से जुड़ा मामला गंभीर होता जा रहा है. बड़ी संख्या में छात्राओं के विरोध के बाद विश्वविद्यालय को एक हफ्ते के लिए बंद कर दिया गया है.

तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है. हॉस्टल की वार्डन को छात्राओं के साथ बदसलूकी के लिए निलंबित कर दिया गया है. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का आदेश दिया है. इस तीन सदस्यीय एसआईटी में सिर्फ महिला पुलिस अधिकारियों को रखा गया है.

इस मामले में जो हुआ उसके बारे में अभी तक सामने आई जानकारी भारत में गैर-पेशेवर तरीके से बनने वाले पोर्नोग्राफी वीडियो के बाजार के प्रसार की तरफ इशारा कर रही है. ऐसे वीडियो लोग अक्सर अपने लिए बनाते हैं लेकिन कई कारणों की वजह से ये इंटरनेट पर पहुंच जाते हैं.

आसान हुआ वीडियो बनाना और इंटरनेट पर डालना

भारत में पोर्नोग्राफिक वीडियो बनाना, बेचना या उसका वितरण करना गैरकानूनी है. आईपीसी की धारा 292 के तहत इसके दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति के लिए पांच साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है.

सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत भी इसके लिए अलग अलग तरह की सजा के प्रावधान हैं. लेकिन इसके बावजूद भारत में पोर्नोग्राफी बढ़ रही है. कई वेबसाइटों के अलावा ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया सेवाओं पर भी पोर्नोग्राफिक वीडियो उपलब्ध हैं.

इन्हें कोई भी अन्य वीडियो की ही तरह आसानी से देख सकता है. इन वीडियो में कैमरा की तरफ देख कर खुद को रिकॉर्ड करते हुए लोगों के वीडियो की भी भरमार है जो दिखाता है कि इस तरह के वीडियो बनाना और उन्हें इंटरनेट पर डाल देना काफी आसान होता जा रहा है.

(पढ़ें: भारत में टिकटोक पर क्यों लगी रोक?)

यह पेशेवर पोर्नोग्राफी की जगह एमेच्योर या गैर-पेशेवर स्तर पर बनाए गए वीडियो की दुनिया है. इनमें पेशेवर कैमरों की जगह होते हैं मोबाइल फोन, सेट की जगह निजी कमरे और अदाकारों की जगह अपने ही वीडियो बनाते आम लोग.

गैर-पेशेवर पोर्नोग्राफी का बढ़ता बाजार

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के ताजा आंकड़े दिखाते हैं कि भारत में औसतन लड़के 25 साल की उम्र से और लड़कियां 19 साल की उम्र से सेक्स के साथ प्रयोग करना शुरू कर देते हैं. ऐसे में एक दूसरे के साथ संबंधों में जुड़े लोगों का इस तरह के वीडियो बनाना चौंकाने वाली बात नहीं है.

इस तरह के वीडियो से समस्या तब खड़ी हो जाती है जब ये वीडियो इंटरनेट पर पहुंच जाते हैं. ऐसा मुख्य रूप से दो तरीकों से होता है. पहला जब संबंधों के टूट जाने के बाद बदले की भावना से ऐसे वीडियो को इंटरनेट पर डाल दिया जाता है. बोलचाल की भाषा में इसे 'रिवेंज पोर्न' कहा जाता है.

इसमें सहमति की बड़ी भूमिका होती है. अक्सर ऐसे वीडियो बनाए भले ही पार्टनर की सहमति के साथ गए हों लेकिन इन्हें सार्वजनिक बिना सहमति के किया जाता है.

एमेच्योर पोर्नोग्राफी इस तरह के वीडियो की दूसरी श्रेणी है. इसमें वीडियो के सामने दिखाई दे रहे लोग खुद को रिकॉर्ड करते हैं और उन्हें पैसे देने वाली वेबसाइटों या ऐप आधारित सेवाओं को बेच देते हैं. यह कानून की दृष्टि से पूरी तरह से अनियंत्रित क्षेत्र है और शायद इसी वजह से पनप भी रहा है.


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