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स्थानीय निकायों के तंग हाथों मे बुनियादी जन सुविधाएं उपलब्ध कराने की चुनौती

सरकार ने एक ओर जहां देश में स्मार्ट शहर बनाने के लिए ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ राष्ट्रीय शहरी आवास नीति और स्वच्छ भारत मिशन जैसी कयी महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरु कर रखीं है

स्थानीय निकायों के तंग हाथों मे बुनियादी जन सुविधाएं उपलब्ध कराने की चुनौती
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नयी दिल्ली। सरकार ने एक ओर जहां देश में स्मार्ट शहर बनाने के लिए ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ राष्ट्रीय शहरी आवास नीति और स्वच्छ भारत मिशन जैसी कयी महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरु कर रखीं है वहीं दूसरी ओर शहरों में पानी-बिजली और मल जल निकासी जैसी बुनियादी जन सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी संभाल रहे स्थानीय निकायों के हाथ बेहद तंग है और वह अपनी लागत का 50 फीसदी खर्च भी नहीं वसूल पा रहे हैं।

वित्त वर्ष 2017-18 के आर्थिक सर्वेक्षण में संयुक्त राष्ट्र विश्व शहर रिपोर्ट 2016 के हवाले से कहा गया है कि वर्ष 2030 तक भारत में सात मेगासिटी होंगे जिनमें से प्रत्येक की आबादी एक करोड़ से अधिक होगी ऐसे में स्थानीय निकायों के लिए इतनी बड़ी अाबादी के लिए सुरक्षा उपाय, जल मल निकासी, पानी, बिजली और अावास जैसी मूलभूत सुविधाएं जुटाना बेहद चुनौतीपूर्ण काम होगा।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि वर्ष 2031 देश की कुल शहरी आबादी बढ़कर 60 करोड़ हो जाएगी और अगले 20 वर्षों के दौरान शहरी बुनियादी सुविधाओं के लिए 2009-10 की कीमतों के आधार पर करीब 39 लाख करोड़ रुपये की जरुरत पड़ेगी।


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