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महाभियोग नोटिस पर वेंकैया के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती

 प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का नोटिस खारिज करने के राज्यसभा के सभापति एम.वेंकैया नायडू के निर्णय को चुनौती देते हुए राज्यसभा के दो सदस्यों ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है

महाभियोग नोटिस पर वेंकैया के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती
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नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का नोटिस खारिज करने के राज्यसभा के सभापति एम.वेंकैया नायडू के निर्णय को चुनौती देते हुए राज्यसभा के दो सदस्यों ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। न्यायमूर्ति जे.चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ ने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल द्वारा मामले को जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की मांग करने पर सिब्बल को 'कल आने के लिए' कहा।

कांग्रेस के दो राज्यसभा सदस्यों प्रताप सिंह बाजवा और अमी याज्ञनिक ने राज्यसभा के सभापति नायडू द्वारा बीते महीने विपक्ष के महाभियोग नोटिस को खारिज किए जाने को लेकर शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।

बाजवा और याज्ञनिक पिछले महीने नायडू द्वारा खारिज किए गए महाभियोग नोटिस पर हस्ताक्षर करने वालों में शामिल हैं।

सिब्बल ने अदालत से कहा कि चूंकि मामला प्रधान न्यायाधीश से जुड़ा है, इसलिए उनके समक्ष इसे पेश नहीं किया जा सकता।

उन्होंने पीठ से यह भी कहा कि महाभियोग नोटिस को खारिज किया जाना 'गंभीर संवैधानिक मुद्दों' को उठाता है और इसमें संवैधानिक प्रावधानों की व्याख्या शामिल है।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि 23 अप्रैल को नायडू द्वारा महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस खारिज किया जाना अवैध, मनमाना और संविधान की धारा 14 का उल्लंघन है, जो कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है।

उन्होंने आगे दलील दी कि फैसले को संविधान की धारा 124 (4) व 124 (5) के तहत चुनौती दी गई है।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि राज्यसभा के सभापति के पास यह निर्णय करने का विशेषाधिकार नहीं है कि क्या प्रधान न्यायाधीश ने मास्टर ऑफ रोस्टर (सर्वोच्च न्यायालय में) के तौर पर अपने शक्ति का दुरुपयोग किया है या नहीं।

दोनों सांसदों ने राज्यसभा के सभापति को महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस स्वीकार करने और उसमें उल्लिखित बिंदुओं की जांच के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश देने की मांग की।


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