Top
Begin typing your search above and press return to search.

दयाल सिंह कॉलेज की गवर्निग बॉडी के अध्यक्ष बर्खास्त

दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक सख्त कदम उठाते हुए गुरुवार को दयाल सिंह कॉलेज की गवर्निग बॉडी के अध्यक्ष को उनके पद से हटा दिया

दयाल सिंह कॉलेज की गवर्निग बॉडी के अध्यक्ष बर्खास्त
X

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक सख्त कदम उठाते हुए गुरुवार को दयाल सिंह कॉलेज की गवर्निग बॉडी के अध्यक्ष को उनके पद से हटा दिया। दरअसल दयाल सिंह कॉलेज में प्रधानाचार्य के साहित्यिक चोरी के मामले में, अध्यक्ष और प्रधानाचार्य में झगड़ा चल रहा था। गुरुवार को विश्वविद्यालय ने इस पर विराम लगाते हुए गवर्निग बॉडी के अध्यक्ष को पद मुक्त कर दिया। दिल्ली विश्वविद्यालय साउथ कैंपस के ज्वाइंट रजिस्ट्रार एसके डोगरा डोगरा ने गुरुवार 29 अक्टूबर को इस विषय में एक आदेश जारी किया। इस आदेश में एसके डोगरा ने दयाल सिंह कॉलेज की गवर्निग बॉडी के अध्यक्ष प्रोफेसर राजीव नयन को इस बारे में सूचित किया।

डोगरा ने अपने इस पत्र में कहा, "दिल्ली विश्वविद्यालय के सक्षम प्राधिकरण ने आपको पद मुक्त करने का फैसला लिया है। मैं इस फैसले से आपको अवगत करा रहा हूं। आपको तुरंत प्रभाव से गवर्निग बॉडी के अध्यक्ष व सदस्यता से मुक्त किया जाता है।"

इससे पहले बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने निलंबत कर दिया। नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने केंद्र सरकार द्वारा प्रशासनिक लापरवाही के चलते की गई दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति के निलंबन की कार्रवाई को उचित ठहराया है।

एनडीटीएफ के अध्यक्ष प्रोफेसर एके भागी ने कहा, "प्रो योगेश कुमार त्यागी के लगभग पांच साल के कार्यकाल में शिक्षकों-कर्मचारियों के स्थायित्व, प्रमोशन और पेंशन जैसे महत्वपूर्ण कार्यो को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और केंद्र सरकार के निर्देशों के बावजूद लंबे समय तक लटकाए रखा गया।"

एनडीटीएफ महासचिव डॉ वी एस नेगी ने बताया कि स्थायित्व, प्रमोशन और पेंशन के मुद्दों पर सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशों की अवहेलना की जाती रही। विश्ववविद्यालय के महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों को अस्थायी और कामचलाऊ तरीके से भरा गया जिससे विश्वविद्यालय का प्रशासनिक और अकादमिक कामकाज प्रभावित हुआ।

महत्वपूर्ण पद लंबे समय तक खाली पड़े रहे। यह प्रशासनिक उदासीनता और कर्तव्य में लापरवाही का मामला है जिसके कारण विश्वविद्यालय में अकादमिक, शैक्षणिक गुणवत्ता और शोध कार्य पर नकारात्मक असर पड़ा। वैश्विक स्तर पर संस्थान की छवि खराब हुई। उन्होंने कहा कि प्रो त्यागी का कार्यकाल प्रशासनिक कुप्रबंधन के लिए याद किया जाएगा।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it