छग : डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में 4 शिशुओं की मौत
डॉ. भीमराव अंबेडकर चिकित्सालय में रविवार को ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने से कथित तीन नवजात शिशुओं की मौत के बाद सोमवार सुबह पीडियाट्रिक विभाग में ही एक और बच्चे की मौत हो गई

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल डॉ. भीमराव अंबेडकर चिकित्सालय में रविवार को ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने से कथित तीन नवजात शिशुओं की मौत के बाद सोमवार सुबह पीडियाट्रिक विभाग में ही एक और बच्चे की मौत हो गई। सोमवार सुबह 10 बजे बालाघाट निवासी प्रकाश विश्वकर्मा को भी उनके नवजात शिशु की मौत की सूचना दी गई।
प्रकाश ने कहा, "उसे समझ नहीं आ रहा कि उसके बच्चे की मौत अस्पताल की लापरवाही के कारण हुई या फिर किसी और वजह से। जिस तरह पता चला कि ऑक्सीजन की सप्लाई के कारण ही तीन शिशुओं ने दम तोड़ा, कहीं उनके बच्चे की मौत भी उसी लापरवाही के कारण तो नहीं हुई, क्योंकि दो दिन से हमने भी बच्चे को देखा नहीं था और न ही अस्पताल वालों ने देखने दिया।"
प्रकाश ने कहा, "सुबह बस इतना बोला गया कि वह नहीं रहा आप फॉरमेल्टी पूरी कर लाश ले जा सकते हैं। घटना से दहशत में आए कई लोग तो अपने नवजात बच्चों को वापस लेकर कहीं दूसरे अस्पताल की ओर दौड़ गए।"
अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विवेक चौधरी ने कहा, "ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी भी शिशु की मृत्यु नहीं हुई है। ऑक्सीजन सप्लाई निरंतर जारी थी। अति गंभीर स्थिति में रहने के कारण तीनों शिशुओं को बचाया नहीं जा सका। उनका पार्थिव शरीर रात्रि 10:30 बजे परिजनों को सौंप दिया गया।"
डॉ. चौधरी ने स्पष्ट कहा कि मेडिको लीगल या अज्ञात परिस्थितियों में होने वाली मृत्यु को छोड़कर शेष बच्चों के प्रकरण में सामान्यत: पोस्टमार्टम नहीं किया जाता है।
उन्होंने बताया, "21 अगस्त को प्रेस सूत्रों से एक और नवजात की मौत का मामला रविवार की घटना से जोड़कर उठाया गया। इसमें 21 अगस्त को सुबह 8:10 बजे एक नवजात शिशु की मृत्यु हुई, जो 20 अगस्त को कॉम्प्लीकेटेड साइनोटिक हार्ट डिजीज (शिशु के हृदय में बनावटी खराबी) की वजह से हार्ट फेल्योर (हृदय का अच्छा काम न करना) की वजह से भर्ती हुआ था। उक्त शिशु की किडनी ने भर्ती के पहले ही काम करना बंद कर दिया था।"
डॉ. चौधरी ने कहा, "भर्ती के समय शिशु को सीवियर एसीडोसेज (रक्त में एसिड की वृद्धि) तथा कैल्शियम की कमी परिलक्षित हुई थी। उक्त शिशु अति गंभीर अवस्था में भर्ती हुआ था तथा हर संभव प्रयासों के बावजूद बचाया नहीं जा सका। अस्पताल प्रबंधन बच्चे का शव उनके परिजनों को सौंपने के बावजूद परिजनों ने शव लेने से इनकार किया। इस प्रकरण का रविवार को हुई घटना से कोई संबंध नहीं है।"
इस मामले में डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय के संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक ने 20 अगस्त को कार्य में लापरवाही बरतने के कारण भृत्य-चौकीदार रवि चंद्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। रविवार की रात को नशे में धुत्त पाए गए ऑक्सीजन सप्लाई कक्ष के कर्मचारी रवि चंद्र को अदालत से जमानत मिल गई है। गिरफ्तारी के बाद उसको जिला एवं सत्र न्यायलय में पेश किया गया, जहां से उसको जमानत मिल गई है।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य सचिव सुब्रत साहू ने कहा, "रविवार को तीन बच्चों की मौत ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने से नहीं बल्कि बीमारी और अलग-अलग वजह से हुई है। रेस्प्रेरेक्ट्री फैल्योर के कारण बच्चों की नेचुरल डेथ हुई है। इस मामले में ऑक्सीजन सप्लाई कक्ष में जो लापरवाही सामने आई उस को तत्काल संज्ञान में लेकर ड्यूटी के दौरान ऑक्सीजन प्लांट के कर्मचारी को शराब के नशे धुत्त मिलने के कारण मौदहापारा थाना पुलिस को सौंपा गया था।"
अंबेडकर अस्पताल में शिशुओं की मौत के मामले में सरकार के आदेशानुसार जो जांच समिति गठित की है। इसमें अंबेडकर अस्पताल अधीक्षक डॉ. विवेक चौधरी, शिशुरोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. शारदा, सह चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अल्ताफ युसूफ मीर शामिल हैं।
चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से गठित कमेटी से 24 घंटे के भीतर जांच रिपोर्ट मांगी गई है। कमेटी को, घटना में क्या कमी थी? क्या सुधार किया जा सकता था? यदि लापरवाही बरती गई है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? इन तीन बिंदुओ में जांच करने कहा गया है।
इसी तरह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता के संयोजकत्व में पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है।
पीसीसी चीफ ने इस घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर से तत्काल इस्तीफे की मांग की। वहीं तत्काल जांच कमेटी गठित कर दी।
नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता कृष्ट है, इसका जवाब देगी। प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था लचर हो गई है।
मुख्यमंत्री रमन सिंह स्वयं सुबह अंबेडकर अस्पताल पहुंचे। मामले को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने जांच के आदेश दिए और दोषियों को न बख्शने की साफ हिदायत भी दी।


