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'चाबाहार बंदरगाह परियोजना सीपीईसी की प्रतिद्वंद्वी नहीं'

भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने चाबाहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए 2016 में एक त्रिपक्षीय समझौता किया था

चाबाहार बंदरगाह परियोजना सीपीईसी की प्रतिद्वंद्वी नहीं
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कराची। ईरान के पूर्व विदेश मंत्री कमाल करजई ने कहा है कि भारत से अफगानिस्तान, मध्य एशिया और पूर्वी यूरोप को जोड़नेवाली चाबहार बंदरगाह परियोजना के बारे में पाकिस्तान में ऐसी धारणा है कि यह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) की प्रतिद्वंद्वी है, जो सही नहीं है। डॉन ऑनलाइन में शनिवार को प्रकाशित रपट में कहा गया है कि करजई ने यहां एक समारोह में कहा, "चाबाहार परियोजना का लक्ष्य ईरान को मध्य एशिया से जोड़ना है, और इसका असली लक्ष्य ईरान की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है।"

उन्होंने कहा कि इस परियोजना पर लंबे समय से विचार-विमर्श चल रहा था, इसलिए इसकी लांचिंग को सीपीईसी से जोड़ना सही नहीं होगा।

भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने चाबाहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए 2016 में एक त्रिपक्षीय समझौता किया था। इसने पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए इन तीनों देशों के बीच एक वैकल्पिक रणनीतिक मार्ग मुहैया कराया है।

वहीं दूसरी तरफ, सीपीईसी चीन के शिनजियांग प्रांत के कशगर को पाकिस्तान के बलूचिस्तान स्थित ग्वादर बंदरगाह से सड़क, रेलवे और राजमार्गो के नेटवर्क के माध्यम से जोड़ता है।

भारत कड़ाई से सीपीईसी गलियारे का विरोध कर रहा है, जो पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर से गुजरता है।


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