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छग : इनामी नक्सलियों से मुठभेड़ पर विवाद

दंतेवाड़ा जिले के बेंगपाल के जंगलों में गुरुवार को हुई मुठभेड़ में पुलिस ने पहले एक लाख के इनामी जनमिलिशिया कमांडर हूंगा को मारने का दावा किया था

छग : इनामी नक्सलियों से मुठभेड़ पर विवाद
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जगदलपुर। दंतेवाड़ा जिले के बेंगपाल के जंगलों में गुरुवार को हुई मुठभेड़ में पुलिस ने पहले एक लाख के इनामी जनमिलिशिया कमांडर हूंगा को मारने का दावा किया था। लेकिन घटना के दूसरे ही पुलिस के इस मुठभेड़ का दावा विवादों में फंस गया है। पुलिस जिसे एक लाख का इनामी कह रही है, उसके परिजनों ने शुक्रवार को पुलिस की मुठभेड़ की कहानी पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं एएसपी गोरखनाथ बघेल उसे हूंगा ही बता रहे हैं।

परिवार के सदस्यों का कहना है कि पुलिस जिसे हूंगा नामक वांटेड नक्सली बता रही है, उसका नाम भीमा वट्टी है। यही नहीं, वह किसी नक्सली मुठभेड़ में नहीं मारा गया है, बल्कि पुलिस वालों ने उसे गोली मारी है।

परिवार के सदस्य और गांव के लोग इस कार्रवाई के खिलाफ शिकायत करने के लिए किरंदुल थाने जा रहे थे, तो उन्हें रास्ते में ही पुलिस के जवानों ने रोक लिया। सवाल यह उठ रहा है कि मुठभेड़ अगर सही थी, तो उन्हें क्यों रोका गया? परिजनों की शिकायत के बाद अब यह पूरा मामला पेचीदा हो गया है और मुठभेड़ के दावे पर कई सवाल उठने लगे हैं।

आम आदमी पार्टी (आप) की नेता सोनी सोरी ने सवाल उठाया कि कमांडर ढीली वर्दी कब से पहनने लगे? पुलिस ने एक लाख के इनामी के मारे जाने के बाद हूंगा नाम के युवक की जो तस्वीर उपलब्ध करवाई है, उसमें शव पर वर्दी है। उसकी वर्दी ढीली-ढाली है और नीचे फोल्ड की हुई है।

सोनी ने आरोप लगाया कि नक्सली कमांडर इतनी ढीली वर्दी पहनकर जंगल में मुठभेड़ करने आया था क्या? उन्होंने कहा कि वट्टी भीमा की हत्या की प्रत्यक्ष गवाह उसकी मां है।

भीमा के परिजनों ने कहा कि जिसे पुलिस हूंगा बता रही है, वह वास्तव में भीमा है। उसकी पत्नी का नाम मासो है और उसके तीन बच्चे भी हैं। इनमें सबसे बड़ी 7 साल की बेटी उंगी, चार साल का बेटा और 2.5 साल की बेटी रूपनी है।

एएसपी गोरखनाथ बघेल के मुताबिक, मुठभेड़ में मारा गया नक्सली हूंगा ही है। लंबे समय से पुलिस को विभिन्न मामलों में उसकी तलाश थी। हूंगा के परिजन शव ले जाने को तैयार थे, लेकिन सोनी सोरी ने उन्हें उकसा कर शव ले जाने से मना कर दिया।

पुलिस का दावा है कि एक दिन पहले जिसे मारा गया है, वह नक्सली कमांडर हूंगा ही है और वह 2006 से नक्सली संगठन के लिए काम कर रहा था। पुलिस ने उसका एक आपराधिक रिकार्ड वर्षवार जारी किया है। पुलिस का कहना है कि फर्जी मुठभेड़ का आरोप निराधार है।


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