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महाराष्ट्र में वैक्सीन की बर्बादी और लापरवाही से चिंतित हुई केंद्र सरकार

महाराष्ट्र में कोविड से बचाने के लिए फ्रंटलाइन वर्कर्स और आम जनता को लगने वाले टीके की बर्बादी और वैक्सीनेशन में हुई लापरवाही से केंद्र सरकार चिंतित है

महाराष्ट्र में वैक्सीन की बर्बादी और लापरवाही से चिंतित हुई केंद्र सरकार
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नई दिल्ली। महाराष्ट्र में कोविड से बचाने के लिए फ्रंटलाइन वर्कर्स और आम जनता को लगने वाले टीके की बर्बादी और वैक्सीनेशन में हुई लापरवाही से केंद्र सरकार चिंतित है। केंद्र सरकार का मानना है कि महाराष्ट्र सरकार को वैक्सीनेशन को गंभीरता से लेते हुए इसमें किसी तरह की लारपवाही नहीं बरतनी चाहिए। महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र से मिले मुफ्त टीकों का समुचित इस्तेमाल नहीं किया। अब तक महाराष्ट्र में 11.65 लाख टीके बर्बाद हो चुके हैं।

फ्रंटलाइन वर्कर्स को भी नहीं लगे पूरे टीके :

आंकड़े बताते हैं कि महाराष्ट्र में चार जून तक सिर्फ 77 प्रतिशत हेल्थ वर्कर्स को ही पहला टीका लग पाया है, जबकि राष्ट्रीय औसत 81 प्रतिशत का है। यह हाल तब है, जब केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार को पर्याप्त संख्या में मुफ्त वैक्सीन दी और सभी सरकारों ऐसे हेल्थ वर्कर्स को युद्धस्तर पर टीका लगाने की अपील की है, क्योंकि हेल्थ वर्कर्स का जीवन खतरे में ज्यादा होता है।

हेल्थ वर्कर्स के अलावा फ्रंटलाइन वर्कर्स के टीकाकरण में भी महाराष्ट्र पीछे है। महाराष्ट्र में सिर्फ 84 प्रतिशत फ्रंटलाइन वर्कर्स को ही वैक्सीन की पहली खुराक मिल पाई है। महाराष्ट्र में 45 प्लस कटेगरी में सिर्फ 40 प्रतिशत लोगों को पहला टीका नसीब हो सका है। केंद्र सरकार के सूत्रों ने कहा कि यह हालात चिंताजनक है। इस पर महाराष्ट्र सरकार को ध्यान देना चाहिए।

पलब्ध वैक्सीन का समुचित इस्तेमाल नहीं :

उच्चस्तरीय सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि केंद्र सरकार से मिली मुफ्त वैक्सीन का महाराष्ट्र ने ठीक से उपयोग नहीं किया। महाराष्ट्र सरकार ने जनवरी, फरवरी और मार्च में मिले मुफ्त टीकों का समुचित इस्तेमाल नहीं किया। मिसाल के तौर पर जनवरी 2021 में वैक्सीनेशन शुरू होने पर केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र को मुफ्त के 19.7 लाख टीके दिए, जिसकी तुलना में सिर्फ 2.7 लाख टीके का ही इस्तेमाल हुआ। फरवरी में कुल 41.2 लाख उपलब्ध टीकों में 9.3 लाख का इस्तेमाल हुआ। इसी तरह मार्च 2021 में केंद्र से मिली 82.4 लाख वैक्सीन की जगह सिर्फ 50.1 लाख का ही उपयोग हुआ। इस प्रकार 40 प्रतिशत वैक्सीन का उपयोग नहीं हो सका।

वैक्सीन की बर्बादी :

कोरोना संकट काल में जीवनरक्षक वैक्सीन का महत्व गोल्ड से भी ज्यादा हो चुका है। बावजूद इसके महाराष्ट्र में वैक्सीन की बर्बादी भी काफी हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, वैक्सीन की बर्बादी रोकना राज्य सरकार का कार्य है। महाराष्ट्र में कुप्रबंधन से वैक्सीन की बर्बादी चिंताजनक है।

महाराष्ट्र में वैक्सीन वेस्टेज की बात करें तो तीन जून 2021 के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 4.9 प्रतिशत टीकों की बर्बादी हुई। केंद्र ने महाराष्ट्र को कुल 2.37 करोड़ फ्री वैक्सीन की डोज दी, जिसमें से 11.65 लाख टीके बर्बाद हुए।


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