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देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अर्थशास्त्रियों की सलाह ले केंद्र सरकार : ओझा

 मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को पुन: पटरी पर लाने के लिए केन्द्र सरकार को अनुभवी अर्थशास्त्रियों की सलाह लेनी चाहिए

देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अर्थशास्त्रियों की सलाह ले केंद्र सरकार : ओझा
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भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को पुन: पटरी पर लाने के लिए केन्द्र सरकार को अनुभवी अर्थशास्त्रियों की सलाह लेनी चाहिए।

कांग्रेस की ओर से आज जारी विज्ञप्ति के अनुसार श्रीमती ओझा ने कहा की महंगाई और प्याज जैसे मुद्दों पर केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन सहित सभी भाजपा नेताओं की असंवेदनशीलता के स्तर को देखकर समूचा देश स्तब्ध है, अन्य पार्टियों की पूर्ववर्ती केंद्र सरकारों के समय जब प्याज के दाम बढ़ते थे तो भाजपा के नेता आसमान सिर पर उठा लेते थे, आज जब उन्हीं की सरकार है तो वो देश के लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से यह सलाह दे रहे हैं की वे प्याज न खाएं। उन्होंने कहा कि नोटबंदी और अव्यावहारिक जीएसटी जैसे मोदी सरकार के गलत निर्णयों की वजह से देश में महंगाई, मुद्रास्फीति और बेरोजगारी जैसी विकराल समस्याएं उत्पन्न हुई हैं जिनसे निपटने में पूरी तरह से अक्षम सिद्ध हो रही केंद्र सरकार की पोल महंगे प्याज के हालिया मुद्दे ने पूरी तरह से खोल दी है।

उन्होंने कहा कि भारत जैसा विकासशील देश यूपीए सरकार के समय जीडीपी को लेकर चढ़ते क्रम में आगे बढ़ रहा था लेकिन आज भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में जीडीपी पिछली छह तिमाही में पूरी तरह से जमीन पर आ गई है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश की जीडीपी तेजी से रसातल की ओर जा रही है।

उन्होंने कहा कि पिछली यूपीए सरकार के समय जब प्याज के भाव बढ़े थे, तब स्मृति ईरानी से लेकर कई भाजपा नेता, जनता के हित में तथाकथित रूप से लड़ाई लड़ रहे थे, आज वो चेहरे कहीं नजर नहीं आ रहे हैं, बल्कि इसके विपरीत केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन, स्वयं प्याज न खाने का उदाहरण देते हुए, अप्रत्यक्ष रूप से जनता को भी यह सलाह दे रही हैं।

श्रीमती ओझा ने कहा कि ऊलजलूल बयानों के द्वारा अपनी ‘बुद्धिमत्ता’ का परिचय देने की बजाय केंद्रीय वित्तमंत्री को चाहिए कि वो अपना झूठा दंभ छोड़कर, सफल, सक्षम और अनुभवी अर्थशास्त्रियों की सलाह लें और पटरी से उतर चुकी देश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने का ठोस प्रयास करें।


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